जस्टिस अरुण मिश्रा ने पीएम मोदी को बताया जीनियस और दूरदर्शी
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय दूरद्रष्टा और बहुमुखी प्रतिभा वाला ऐसा नेता बताया जिनकी सोच वैश्विक स्तर की है, लेकिन स्थानीय हितों को अनदेखा नहीं करते। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भारत पीएम मोदी के 'नेतृत्व' के तहत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार और सबसे दोस्ताना सदस्य है।
सर्वोच्च न्यायालय में अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 'न्यायपालिका और बदलती दुनिया' के उद्घाटन समारोह में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामना की जाने वाली चुनौतियां आम हैं औ बदलती दुनिया में न्यायपालिका की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'गरिमापूर्ण मानव अस्तित्व हमारी अहम चिंता है। हम वैश्विक स्तर की सोच रखकर अपने यहां काम करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी नरेंद्र मोदी का उनके प्रेरक भाषण के लिए शुक्रिया अदा करते हैं। उनके संबोधन सम्मेलन में विचार-विमर्श की शुरूआत के साथ और सम्मेलन का एजेंडा तय करने में उत्प्रेरक भूमिका निभाऐंगे।' उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोगों को हैरानी होती है कि यह लोकतंत्र कैसे इतनी कामयाबी से काम करता है।
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न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, 'अब हम 21 वीं सदी में हैं। हम केवल वर्तमान ही नहीं भविष्य के वास्ते आधुनिक आधारभूत संरचनाओं के लिए भी देख रहे हैं।'आपको बता दें कि इस सम्मेलन में 20 से ज्यादा देशों के न्यायाधीश शिरकत कर रहे हैं।
इससे पहले कार्यक्रम में सीजेआई एसए बोबडे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कानून मंत्री ने कार्यक्रम में अपनी बात रखी। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन्हें 1.3 अरब भारतीयों ने खुले दिन से अपनाया है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि शासन की जिम्मेदारी निर्वाचित प्रतिनिधियों और निर्णय सुनाने का काम न्यायाधीशों पर पर छोड़ देना चाहिए। इस मौके पर बोलते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने महात्मा गांधी के उन शब्दों को याद किया कि यदि सभी अपना कर्तव्य निभाते हैं, तो उनके अधिकारों का ध्यान रखा जाता है। उन्होंने कहा, 'भारतीय संविधान के केंद्र में व्यक्ति था और व्यक्ति के अधिकारों को मान्यता दी गई थी। '