अयोध्या पर फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों ने की CJI रंजन गोगोई की तारीफ
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे संवेदनशील मामलों में एक अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला दिया। सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था। इसके बाद 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को विवादित जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला सुनाया था। सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई में जिस तरह संविधान पीठ ने रोजाना सुनवाई जारी रखी और चीफ जस्टिस ने अपने रिटायरमेंट के कुछ दिनों पहले इसपर फैसला दिया, उसकी सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ जजों ने जमकर तारीफ की है।
जस्टिस बोबडे ने की सीजेआई की तारीफ
देश के अगले नामित मुख्य न्यायाधीश एसए. बोबडे ने कहा कि जस्टिस गोगोई का धैर्य, साहस और चरित्र इस कदर मजबूत है कि कुछ भी गलत होना मुश्किल है। जस्टिस बोबडे ने कहा, 'मैं खुद को जस्टिस गोगोई के साथ काम करने का अवसर मिलने के लिए भाग्यशाली समझता हूं।' उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सभी नागरिकों के कल्याण के लिए बनाया गया है और एक स्वतंत्र न्यायपालिका इस उद्देश्य को पूरा करने वाले उपकरणों में एक है।
सीजेआई रंजन गोगोई ने नहीं की कोई टिप्पणी
वहीं, जस्टिस श्रीपति रवींद्र भट ने कहा कि हमने इतिहास बनते देखा और मुझे विश्वास है कि भारतीय न्यायिक इतिहास में ये अमित रहेगा। हालांकि, सीजेआई रंजन गोगोई ने इस कार्यक्रम के दौरान फैसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'मैं किसी भी विवादास्पद मुद्दे पर बात नहीं करना चाहता, ये सही मौका नहीं है।' सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या मामले में जो फैसला दिया, उससे राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला
अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया था।साथ ही कोर्ट ने विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को देने फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है। बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बनी थी और खुदाई में निकला ढांचा गैर-इस्लामिक था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने स्वीकार किया लेकिन ये भी कहा कि वह इससे संतुष्ट नहीं हैं।