उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ याचिका से अलग हुए जज, अब शुक्रवार को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की रिहाई के लिए उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों में से एक ने उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है। अब उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ याचिका पर शुक्रवार को कोई और बेंच सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से घाटी के कई नेताओं के हाउस अरेस्ट पर रखा गया है। करीब 6 महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया है। अपने भाई की हिरासत के खिलाफ अब उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई से मोहन एम शांतनगौदर ने खुद को अलग कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता। इसके बारे में न्यायाधीश ने और विस्तार से नहीं बताया। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान बेंच पर न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना और संजीव खन्ना थे।
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बढ़
सकती
है
नजरबंदी
जम्मू-कश्मीर
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
और
नेशनल
कॉन्फ्रेंस
के
नेता
उमर
अब्दुल्ला
सहित
पीपुल्स
डेमोक्रेटिक
पार्टी
की
नेता
महबूबा
मुफ्ती
व
अन्य
के
खिलाफ
पब्लिक
सेफ्टी
एक्ट
(पीएसए)
के
तहत
गुरुवार
को
मामला
दर्ज
कर
लिया
गया
है।
सरकार
के
इस
फैसले
के
बाद
दोनों
नेताओं
की
नजरबंदी
और
बढ़
जाएगी।
इस
कानून
के
तहत
दोनों
नेताओं
को
बिना
ट्रायल
तीन
महीने
तक
जेल
भेजा
जा
सकता
हैं।
इससे
पहले
जम्मू-कश्मीर
में
फारूक
अब्दुल्ला
पर
भी
पीएसए
लगा
दिया
गया
था।
क्योंकि
उन्होंने
अपने
प्रिवेंटिव
डिटेंशन
को
चैलेंज
किया
था।