राजस्थान के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी के कपड़े देख भड़के SC के जज, पूछा- ऑफिस चप्पल-धोती पहनकर आते हैं?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश अफसरों से कोर्ट में आने से पहले ढ़ग के कपड़े पहनकर आने के निर्देश दिए हैं। दरअसल ये आदेश उस घटना के बाद आए हैं जिसमें राजस्थान के शहरी विकास और आवास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मंजीत सिंह एक केस के सिलसिले में कोर्ट गुलाबी रंग की टीशर्ट और ग्रे रंग की पेंट पहनकर पहुंचे थे। इस पर जस्टिस चेलमेश्वर और संजय के कौल की बेंच ने आपत्ति जताई थी।
क्या आपके दफ्तर में लोग इस तरह के कपड़े पहनकर आते हैं?
इस घटना के बाद जस्टिस चेलमेश्वर ने ने गुरुवार को कहा कि नौकरशाहों को अदालतों में पेशी के दौरान शालीन पोशाक पहनकर आना चाहिए। बुधवार की फटकार के बाद मंजीत सिंह गुरुवार को शीर्ष अदालत में करीने से रॉयल ब्लू सूट पहनकर पेश हुए और बुधवार को शर्ट और ट्राउजर पहनकर आने के लिए अदालत से बिना शर्त माफी मांगी। न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी को इस लिबास में देखकर जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, 'क्या आपके दफ्तर में लोग इस तरह के कपड़े पहनकर आते हैं? क्या आपके अधिकारी चप्पल, धोती और अनौपचारिक कपड़े पहनकर आपसे मिलने आते हैं?
ब्यूरोक्रेट्स के लिए एक ड्रेस कोड होता है
जस्टिस ने कहा कि, 'ब्यूरोक्रेट्स के लिए एक ड्रेस कोड होता है, क्या आपने नियमों को पढ़ा है? यदि आपको नियम नहीं पता है और आप ये नहीं जानते हैं कि एक अधिकारी को कोर्ट में उपस्थित होते वक्त क्या ड्रेस पहनना चाहिए, तो आप अपर मुख्य सचिव रहने के योग्य नहीं हैं।' इसके बाद राज्य सरकार की ओर से पेश हो रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एनएनएस नंदकर्णी और खुद अधिकारी ने इसके लिए माफी मांगी थी।
नियम हों या न हों, अदालतों में शालीन पोशाक पहनकर आए अफसर
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ब्यूरोक्रेट्स के ड्रेसकोड के बारे में कोई नियम नहीं था। इस पर जस्टिस जे. चेलमेश्वर की पीठ ने कहा, 'नियम हों या न हों, अदालतों में पेशी के दौरान अधिकारियों से शालीन पोशाक पहनकर आने की उम्मीद की जाती है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस आशय के प्रशासनिक निर्देश हैं अथवा नहीं, लेकिन एक स्तर की शालीनता तो बरती ही जानी चाहिए।