सुप्रीम कोर्ट में महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी पर सुनवाई, जम्मू-कश्मीर प्रशासन को भेजा गया नोटिस
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की है। ये याचिका महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने दायर की है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने इल्तिजा को एक हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया है। जिसमें कहा गया है कि उन्होंने किसी अन्य अदालत में हिरासत के खिलाफ याचिका दायर नहीं की है।
बता दें कि महबूबा मुफ्ती घाटी से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 के तहत नजरबंद हैं। इसे लेकर उनकी बेटी इल्तिजा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बीते साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था। जिसके बाद हालात सामान्य रहें, इसके लिए स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया गया था।
बता दें कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को बीते साल 5 अगस्त से ऐहतियातन तौर पर हिरासत में लिया गया है। दोनों नेताओं को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है। पीएसए के तहत अगर सरकार को शक है कि आप पब्लिक सेफ्टी या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो आपने भले ही कोई गलत काम नहीं किया हो, सरकार आपको हिरासत में ले सकती है।
पीएसए को 8 अप्रैल, 1978 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी। इस कानून को लकड़ी तस्करों पर लगाम लगाने के लिए शेख अब्दुल्ला सरकार में लाया गया था। कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मामला सरकार को एडवाइजरी बोर्ड के सामने भेजना होता है। बोर्ड फिर आठ हफ्तों के भीतर अपना सुझाव भेजता है। अगर बोर्ड के मुताबिक संबंधित व्यक्ति की हिरासत सही है, तो उसे बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
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