राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र से 6 सप्ताह में मांगा जवाब
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए दायर की गई याचिका पर भारत सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। बीजेपी नेता औऱ वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर कर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान कानून को चुनौती दी गई है। इस याचिका में जनसंख्या के अनुसार सभी राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान करने की मांग की गई है।
शुक्रवार को जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने टीएमए पाई मामले में अपने फैसले की भावना के तहत "राज्य स्तर पर" अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
याचिका में कहा गया है कि कई राज्यों में हिन्दू,बहाई और यहूदी वास्तविक अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें वहां अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोलने और चलाने का अधिकार नहीं है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी इस संबंध में आदेश पारित किया गया था लेकिन आजतक आदेश का पालन पालन नहीं हुआ है।
टीएमएपाई फैसले में कानून का एक प्रश्न यही था कि अनुच्छेद 30 के मुताबिक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक राज्यवार होंगे कि राष्ट्रीय स्तर पर। इस सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट की 11 सदस्यीय संविधान पीठ ने तय किया था कि भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक राज्यवार होने चाहिए। याचिकाकर्ता का कहना है कि अभी भाषाई अल्पसंख्यकों की पहचान राज्यवार होती है लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यको की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर ही की जाती है।
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