न्यायालय ने सशस्त्र बलों में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में जारी रखे जाने वाली याचिका पर जारी किया नोटिस
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सशस्त्र बलों में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में जा रखे जाने वाली याचिका पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सशस्त्र बलों में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में जा रखे जाने वाली याचिका पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को चीफ जस्टिस एस.ए. बोबड़े के पास भेजा है, जिसमें इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ में सुनने की अपील की गई है।
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने अदालत में एक याचिका दाखिल करते हुए अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला व्यभिचार कानून (IPC की धारा 497) रद्द करने को लेकर दिया था, उसे सशस्त्र बलों में लागू ना किया जाए। इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया और इसे पांच न्यायाधीशों वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे को भेजा।
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मालूम हो कि सितंबर 2018 में एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह असंवैधानिक है, इसने महिलाओं की निजता को कमजोर किया और उन्हें पतियों की जागीर बना दिया है। कोर्ट ने कहा था कि अब यह अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा, लेकिन तलाक का आधार बन सकता है।
गौरतलब है कि पहले धारा 497 के तहत व्यभिचार अपराध था, जिसके अंतर्गत उन पुरुषों को 5 साल की सजा का प्रावधान था, जो किसी विवाहित महिला के साथ, उसकी सहमति से या बगैर सहमति के संबंध बनाता है। हालांकि इसके लिए महिला के पति को सबूतों के साथ शिकायत दर्ज करानी आवश्यक थी।