CAA पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, केंद्र सरकार से चार हफ्ते में मांगा जवाब
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ और समर्थन में 142 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिसपर आज कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने चार हफ्ते में जवाब मांगा है। बुधवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में भारी भीड़ जमा हो गई, जिसपर सीजेआई को सभी से शांति बनाए रखने को कहना पड़ा।
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CAA पर रोक लगाने से इनकार
कोर्ट ने कहा कि अधिकतर याचिकाओं में एक जैसी ही बात है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सभी याचिकाओं को सुना जाएगा और इसके बाद ही अदालत कोई फैसला सुनाएगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रक्रिया वापस ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा आदेश लागू कर सकते हैं, जो मौजूदा स्थिति के अनुरूप हो, हम एकपक्षीय रोक नहीं लगा सकते हैं। सीजेआई ने वकीलों से असम और नॉर्थ ईस्ट से दाखिल याचिकाओं का आंकड़ा मांगा।
सिंघवी बोले- यूपी में दी जा रही नागरिकता
इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने बताया कि उन्हें अभी तक 144 में से 60 याचिकाओं की ही कॉपी मिली है। इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि मुद्दा अभी ये है कि क्या इसे संवैधानिक बेंच को भेजना चाहिए। सिब्बल ने NPR की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए। वहीं,अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यूपी में 40 हजार लोगों को नागरिकता देने की बात कही जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो फिर कानून वापस कैसे होगा। उन्होंने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की।
असम के मामले में दो हफ्ते में मांगा जवाब
कोर्ट ने कहा कि NRC की प्रक्रिया को देखते हुए असम और त्रिपुरा का मसला अलग किया जा सकता है। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि आप असम से संबंधित याचिका कब दायर करेंगे? अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि वे दो सप्ताह में याचिका दायर करेंगे। इसपर सीजेआई ने कहा कि ठीक है, हम इसे दो सप्ताह के बाद सुन सकते हैं।
केंद्र से 4 हफ्ते में मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी भी याचिकाएं दायर की जा रही हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे मामले पर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का वक्त दिया। पांचवें हफ्ते में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सरकार ने 6 हफ्ते का वक्त मांगा था जिसका याचिकाकर्ताओं की तरफ से विरोध किया गया।
SC hearing petitions on #CitizenshipAmendmentAct:: Supreme Court issues notice to Centre on fresh petitions filed challenging the Act. SC says, it will hold in-chamber hearing on procedural issue of the case. pic.twitter.com/FMiXg8Qa51
— ANI (@ANI) January 22, 2020
अलग-अगल कैटेगरी में होगी याचिकाओं की सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग कैटेगरी में याचिकाओं की सुनवाई होगी। साथ ही हर केस के लिए एक वकील को ही मौका मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर अंतरिम रोक नहीं लगा सकते। कोर्ट ने कहा कि रोक लगाने से संबंधित मामला अगली सुनवाई या अगली बेंच द्वारा तय किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्रक्रियात्मक मुद्दे पर चैंबर बेंच सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ के गठन पर विचार किया जा सकता है।
सीएए को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, एएएसयू), पीस पार्टी, एसएफआई, और सीपीआई शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। वहीं, इस कानून में मुस्लिमों को शामिल ना करने का विरोध हो रहा है और मांग की जा रही है कि या तो सरकार इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करे या फिर इस एक्ट को वापस ले।