NPR-CAA के खिलाफ पश्चिम बंगाल के शिक्षकों की याचिका, SC ने केंद्र को जारी किया नोटिस
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के 20 शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। ये याचिका नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के खिलाफ दायर की गई थी। बता दें पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में सीएए को लागू करने से साफ इनकार कर दिया है, साथ ही एनपीआर का भी विरोध किया है।
यही वजह है कि एनपीआर पर चर्चा के लिए आज केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो बैठक बुलाई थी, उसमें पश्चिम बंगाल ने शामिल होने से इनकार कर दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ये साफ कहा कि उनके राज्य के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। हालांकि केरल ने कहा है कि वह बैठक में शामिल होगा। गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर राज्य एनपीआर से संबंधित प्रावधानों को अधिसूचित कर चुके हैं।
एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रेशन और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मसला) नियम 2003 के तहत स्थानीय स्तर पर यानी उपजिला, जिला और राज्य स्तर पर बनाया जाएगा। इनमें देश के हर नागरिक के लिए नाम दर्ज कराना अनिवार्य होगा। एक तरह से यह देश में रह रहे नागरिकों के लिए समग्र डाटाबेस होगा। जिसे जनसांख्यिकीय और बायोमीट्रिक आधार पर बनाया जाएगा।
वहीं सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून बीते साल दिसंबर माह में आया था। इससे पहले इसके बिल को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से मंजूरी भी मिली थी। कानून के तहत तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से उत्पीड़न का शिकार छह गैर मुस्लिम समुदाय के लोग छह साल भारत में रहने के बाद यहां की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि इस कानून में किसी एक समुदाय के साथ भेदभाव किया गया है, जो संविधान का उल्लंघन है।
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