अस्पताल में आग की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के निजी कोविड अस्पतालों में आग की घटनाओं के तथ्यों को दबाने की कोशिशें करने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है। गुजरात के जवाब से नाखुश कोर्ट ने कहा कि राज्य को तथ्यों को दबाना नहीं चाहिए। कोर्ट ने सही तथ्यों के साथ एक नया हलफनामा दायर करने का निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च अदालत ने राजकोट के एक निजी कोविड अस्पताल में आग की घटना का संज्ञान लिया था। इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति
अशोक
भूषण
की
अध्यक्षता
वाली
पीठ
ने
गुजरात
सरकार
के
वकील
से
कहा,
हमने
आपका
जवाब
सुना
है।
आपके
मुताबिक
राज्य
के
अस्पतालों
में
सब
कुछ
अच्छा
है।
अभी
तक
राज्य
के
अस्पताल
में
सबकुछ
ठीक
है।
अदालत
ने
देशभर
में
कोरोना
के
हालात
को
लेकर
नाराजगी
जताई
और
सख्त
शब्दों
में
कहा
था
कि
जुलूस
निकाले
जा
रहे
हैं
और
80
फीसदी
लोगों
ने
मास्क
नहीं
पहने
हैं।
न्यायमूर्ति शाह ने गुजरात सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, जहां तक आग की घटना की जांच कर रहे आयोग का सवाल है, यह भी खत्म हो गया है। राज्य सरकार का स्टैंड अस्पताल में वायरिंग की स्थिति के संबंध में आपके स्वयं के मुख्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग अधिकारी के स्टैंड के विपरीत है। इसके साथ ही कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अनुरोध किया कि वे इस मामले को देखें और उचित रिपोर्टदाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।
गुजरात के राजकोट में शुक्रवार तड़के एक कोविड-19 अस्पताल में भीषण आग लग गई, जिसमें पांच कोरोना वायरस के मरीज की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में यह आग लगी थी। फायर ब्रिगेड के अधिकारी ने कहा कि आग लगने के बाद अस्पताल से अन्य तीस कोरोना वायरस के मरीजों का रेस्क्यू किया गया, जिनका इलाज चल रहा है। हालांकि, बाद में उनमें से और दो की मौत हो गई। फायर ब्रिगेड के अधिकारी जे बी थेवा ने कहा कि मावड़ी इलाके के उदय शिवानंद अस्पताल के आईसीयू में लगभग 1 बजे आग लग गई, जहां 33 मरीजों को भर्ती किया गया था। इनमें से सात मरीजों को आईसीयू में भर्ती कराया गया था।
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