सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नेवी में महिलाओं के मिलेगा स्थायी कमीशन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना में महिला अधिकारियों के स्थाई कमीशन मामले में बड़ा फैसला दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन को मंजूरी दे दी। अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महिलाओं और पुरुष अधिकारियों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब महिलाएं कई तरह के लाभ पाने की हकदार होंगीं।
Recommended Video
सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसले में कहा कि महिलाओं में भी पुरुष अफसरों की तरह समुद्र में रहने की काबिलियत है। वह लिंग के आधार पर महिला अधिकारियों की सेवा में कोई भेदभाव नहीं कर सकती है, और सरकार से तीन महीने के भीतर महिला अधिकारियों की सेवा करने के लिए स्थायी कमीशन देने को कहा है। कोर्ट ने केन्द्र की 1991, 1998 की नीति ने, महिला अधिकारियों को बल में भर्ती करने पर लगी वैधानिक रोक हटाई।
कोर्ट ने कहा कि, 2008 से पहले शामिल महिला अधिकारियों को नौसेना में स्थायी कमीशन देने से रोकने के संबंध में नीति के संभावित प्रभाव को खारिज किया। कोर्ट ने कहा कि इस बात की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज मौजूद हैं कि महिला अधिकारियों ने बल को गौरवान्वित किया। केंद्र ने सितंबर 2008 में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का फैसला किया था, लेकिन यह केवल महिला एसएससी अधिकारियों के लिए ही लागू था। सेवारत महिला अधिकारियों को इस अधिकार से बाहर रखा गया था।
सेना में परमानेंट कमीशन मिलने के बाद कोई अधिकारी रिटायरमेंट तक सेना में काम कर सकता है और उसे पेंशन भी मिलती है। सेना में अधिकारियों की कमी पूरी करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन शुरू हुआ था। इसके तहत पुरुषों और महिलाओं दोनों की भर्ती की जाती है, जिन्हें 14 साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती।
देश की पहली महिला मरीन पायलट में कोरोना के लक्षण, कोलकाता के अस्पताल में भर्ती