सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया मिलावटखोरों पर सख्त फैसला, मिलावट की तो जाना होगा जेल
बेंगलुरु। सरकार भले ही मिलावटखोरी पर सख्त हो न हो, लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत काफी सख्त है। दूध में मिलावट के एक मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाने-पीने की चीजों में मिलावटखोरी संगीन मामला है। इसलिए हर हाल में मिलावटखोर को जेल जाना पड़ेगा।
यह फैसला केन्द्र सरकर ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया। दूध में मिलावट के एक मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाने-पीने की चीजों में मिलावटखोरी संगीन मामला है। दूध में मिलावटखोरी मामूली बात नहीं है। इसलिए आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा दूध में मिलावटखोरी मामूली बात नहीं है। इसलिए आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता और न ही मिलावट के मामले में न्यूनतम सजा को कम नहीं किया जा सकता है। न्यूनतम सजा को कम करना गलत होगा। खाने-पीने की चीजों के मानकों का पालन करना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक मिलावटखोरी के आरोपी को 6 महीने जेल की सजा सुनाई है। साथ ही ये हिदायत भी दी है कि मिलावटखोरी पर किसी भी तरह की नरमी की उम्मीद न रखें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मिलावटखोरी के आरोपी को 6 महीने जेल की सजा सुनाई है। साथ ही ये हिदायत भी दी है कि मिलावटखोरी पर किसी भी तरह की नरमी की उम्मीद न रखें।
बता दें दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। विश्व में सबसे ज्यादा मवेशी हमारे यहां है। इसके बाद भी यहां बिकने वाला 70 फीसदी दूध नकली है। और जब दूध ही नकली हो तो उससे बनने वाले उत्पादों की शुद्धता क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं हैं। .ऐसा नहीं है कि मिलावट सिर्फ दूध तक ही सीमित है, बल्कि खाने-पीने की करीब-करीब हर चीज में मिलावट होती है।
अभी जब त्योहारों का मौसम चल रहा है और मिलावटखोरी भी खूब में चल रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कोई भी मिलावटखोर कानून के शिकंजे से अब बच नही पाएगा। पिछले कई सालों से इसी मिलावटखोरी चरम पर हैं त्योहारों के सीजन में यह मिलावटखोरी और बढ़ जाती हैं। मिलावटी वस्तुओं के खाने से हजारों लोग तमाम भयावह बीमारियों की चपेट में आ रही हैं । कई बार मिलावटी खाद्य सामग्रियों के खाने से जान तक गंवानी पड़ी। इसके बावजूद इसके मिलावटी मिठाइयां, दूध और खाने-पीने के सामान में धड़ल्ले से बाजार में बिक रहे हैं, इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। लेकिन देश की सुप्रीम कोर्ट को इस मिलावटखोरी से सख्त नाराजगी है।
जानें खाद्य सामग्रियों में क्या मिलावट होता है
दूध में सबसे ज्यादा पानी मिलाया जाता है। पानी के अलावा दूध में इसके अलावा यूरिया, रिफाइंड ऑयल और सफेद रंग को मिलाकर भी नकली दूधभी बनाया जाता है। चीनी में चॉक और चूना मिलाया जाता है। घी में वनस्पति तेल और खुशबू के लिए एसेंस और रंग मिलाया जाता है। चावल और गेहूं में पत्थर और मिट्टी मिलाई जाती है। गेहूं के आटे में सिंघाड़े का आटा मिलाया जाता है. दालों में पत्थर और मिट्टी मिलाई जाती है. दालों को पुराना दिखाने के लिए केमिकल रंगों का इस्तेमाल होता है। चाय पत्ती में इस्तेमाल की हुई पत्ती को रंगकर मिलाया जाता है। कॉफी में इमली के बीज का चूरा मिलाया जाता है। काली मिर्च में पपीते का बीज मिलाया जाता है।
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़े
2018-19
में
जांच
में
खाने
के
1/3
नमूने
पास
नहीं
हुए।
सबसे
ज्यादा
मिलावटखोरी
उत्तर
प्रदेश,
पंजाब
और
तमिलनाडु
में
देखने
को
मिले।
उत्तर
प्रदेश
में
खाने
के
19,173
नमूने
में
से
9,403
नमूने
फेल
हुए।
पंजाब
में
11,920
नमूने
में
से
3,403
नमूने
मानकों
खरे
नहीं
उतरे।
तमिननाडु
में
5,730
नमूने
में
से
2,601
नमूने
जांच
में
फेल
हुए।
मध्य
प्रदेश
के
7,063
नमूने
में
से
1,352
नमूने
गलत
पाए
गए।
जम्मू
और
कश्मीर
में
3,600
नमूने
में
से
701
नमूने
मानकों
के
मुताबिक
नहीं
पाए
गए।
2017-18
में
99,000
नमूनों
में
से
24,000
नमूने
जांच
में
फेल
हुए।
2016-17
में
78,000
नमूनों
में
से
18,000
नमूने
जांच
में
फेल
हुए।