सुप्रीम कोर्ट में चार नए जजों की नियुक्ति, न्यायधीशों की संख्या बढ़कर हुई 34
नई दिल्लीः आज यानी कि सोमवार को चार नए न्यायधीशों ने अपने पद की शपथ ली, जिसके बाद अब न्यायधीशों की संख्या सुप्रीम कोर्ट में 34 हो गई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चारों न्यायाधीशों को शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के सथ और कई वकील मौजूद रहें। चार जजों की नियुक्ति की मंजूरी केंद्र सरकार द्वारा दे दी गई थी।
शपथ लेने वाले न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट, न्यायमूर्ति वीं. रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय शामिल हैं। बता दें कि न्यायमूर्ति मुरारी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के , न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय केरल उच्च न्यायालय के प्रमुख थे।
शीर्ष अदालत की कॉलेजियम ने 30 अगस्त को इन नामों की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 10 फीसद बढ़ाए जाने का विधेयक संसद ने पिछले दिनों पारित कर दिया था। इस विधेयक में चूंकि जजों की बढ़ी हुई संख्या के मुताबिक सरकारी खजाने से धन आवंटित कराना भी था। इस वजह से इसे वित्त विधेयक के रूप में भी संसद की दोनों सदनों से पारित भी करवाना पड़ा।
इसी साल मई के महीने में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर जजों की संख्या को बढ़ाने की बात कही थी। साथ ही रिटायरमेंट की सीमा भी बढ़ाने को कहा था।
31 जुलाई को केंद्र सरकार ने जजों की संख्या बढ़ाने की मांग पर मुहर लगा दिया। 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ( जजों की संख्या ) वाली अमेंडेंट बिल लोकसभी में पास कराया गया, जिसके बाद 10 अगस्त को राष्ट्रपति ने हस्ताक्ष किए। 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजों के नाम अपवाइंटमेंट के लिए रिकमेंड किया।
चीफ जस्टिस ने पीएम मोदी को तीन चिठ्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने बताया कि 58,669 केस अभी पेंडिंग में हैं इसलिए इस पर जल्द कार्रवाई करें। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी के कारण क्वेश्चन ऑफ लॉ भी नहीं तैयार हो पा रहा है। इसके अलावा उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि साल 1988 में जजों की संख्या 18 से बढ़ाकर 26 की गई। उसेक बीस साल बाद साल 2009 में जजों की संख्या 31 की गई, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी शामिल थे।