राममंदिर केसः 14वें दिन विवादित स्थल पर वकील ने किया हैरतअंगेज दावा
बंगलुरू। अयोध्या राममंदिर मामले पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की सुनवाई हो रही है। बुधवार को 14वें दिन जब सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही था तभी श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति की ओर से अजीबोगरीब दावा किया गया, जिससे कोर्ट की सुनवाई कर रहे जज समेत सभी पक्षकार इधर-उधर झांकने लग गए। हालांकि जज ने मामले को विषयांतर बताकर वकील को मूल बात पर आने को कहा।
दरअसल, दलील के दौरान श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति के वकील ने पीएन मिश्रा ने कहा कि विवादित परिसर पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का काम बाबर ने नहीं, बल्कि वहां निर्मित मस्जिद शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने बनवाया था। दावे के मुताबिक मंदिर तोड़कर मस्जिद निर्माण का कार्य वर्ष 1770 से पहले किया गया था।
वकील ने दलील में दावा किया है कि विवादित परिसर पर वर्ष 1770 से पहले कोई मस्जिद ही नहीं था। बकौल पीएन मिश्रा, इस दौरान अयोध्या की यात्रा पर किसी भी यात्री ने विवादित परिसर पर मस्जिद होने का उल्लेख नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट में मंगोल शासक बाबर लिखित बाबरनामा का अंश पढ़ते हुए वकील पीएम मिश्रा ने कोई भी ऐतिहासिक दस्तावेज अभी तक बतौर साक्ष्य नहीं पेश किए गए हैं, जो यह साबित करते हों कि गिराया गया विवादित ढ़ांचा 520 AD में बनाया गया था। उन्होंने बाबर की रोजनामचा डायरी का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि उसमें मीर बाकी के बारे में जिक्र तक नहीं किया गया है।
वकील के मुताबिक बाबर के रोजनामचे में सिर्फ बाकी बेग तशकंदी और बाकी बेग का जिक्र है, जो 1529 में ताशकंद से अयोध्या बार से मिलने आया था। मिश्रा आगे तर्क देते हुए कोर्ट से दावा किया कि विवादित स्थल पर मंदिर था, जिस औरंगजेब ने तोड़कर उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करवाया था जबकि उल्लेखित मीर बाकी जैसे किसी शख्स का वजूद ही नहीं मिलता है। हालांकि पीएन मिश्रा के उपरोक्त दलीलों पर प्रतिक्रिया करते हुए जस्टिस बोबड़े ने वकील को विषय बोध करते हुए कहा कि कोर्ट सिर्फ जन्मस्थान पर हक पर ही सुनवाई कर रही है और वकील से विषय पर केंद्रित रहने की सलाह दी।
इस पर मिश्रा ने कहा उनका दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी और अगर अदालत द्वारा उनके दावे को स्वीकारा जाता है तो इससे सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा पूरी तरह से गलत साबित हो जाएगा। उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड के तर्कों को गलत बताते हुए कोर्ट से कहा कि उनके सारे तर्क गलत तथ्य पर आधारित हैं इसलिए उनका जमीन पर दावा नहीं बनता है।
इस दौरान वकील पीएन मिश्रा ने कोर्ट के सामने तीन किताबों बाबरनामा, तुजुके जहांगीरी और आईने अकबरी का हवाला दिया। मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि आईने अकबरी और हुमायूंनामा में बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद बनने की बात कहीं नहीं है जबकि तुजुके जहांगीरी में भी बाबरी मस्जिद का नाम तक उल्लेख नहीं मिलता है।
वकील पीएन मिश्रा ने कोर्ट में पेश दलीलों के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड को ललकारते हुए कहा कि वक्क बोर्ड यह साबित करे कि 100-200 साल से यहां कब नमाज पढ़ी गई? बाबर इसका सिर्फ वाकिफ था यानी उसने सिर्फ जमीन वक्फ की थी। मिश्रा ने ब्रिटिश दौर से भी पहले 1770 में भारत भ्रमण पर आए लेखक पर्यटक ट्रैफन थेलर की डायरी वाली किताब का हवाला भी दिया, जिसमें थेलर ने वहां बमुश्किल 30-40 वर्ष पहले बनी इमारत का उल्लेख किया है, जिसे तब के अयोध्यावासी मस्जिद जन्मभूमि के नाम से जानते थे।
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