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नहीं बदला फैसला, गे-लेस्बियन सेक्स जुर्म है जुर्म ही रहेगा, याचिका खारिज

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homosexuality
नयी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने गे-लेस्बियन सेक्स को जुर्म करार देने वाले अपने फैसले में किसी भी तरह के बदलाव करने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से दायर की गई पुनर्व‌िचार याच‌िका को खारिज कर द‌िया है। कोर्ट ने बीते द‌िसंबर में सुनाए गए अपने फैसले को बरकरार रखते हुए समलैंग‌िकता को अपराध माना है।

कोर्ट ने धारा 377 को सही करार देते हुए इसे अपराद की श्रेणी में शामिल कर दिया है। लोगों के विरोध के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को कायम रखते हुए इसे अपराध माना है। इससे पहले दिसंबर 2013 में कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया था। अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के वर्ष 2009 के फैसले को पलटकर 1861 के इस कानून को वैध करार दिया था।

गौरतलब है कि समलैंगिक संबंधों को अवैध करार देने वाले कानून को सही ठहराने से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इस याचिका संबंधित जानकारी ट्वीट के माध्यम से लोगों को भी दी थी, लेकिन एकबार फिर से सरकार और समलैंगिकता को समर्थन करने वाले लोगों को निराशा हाथ लगी है।

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English summary
The Supreme Court dismissed the Central government’s petition seeking a review of its verdict that had declared gay sex an offence punishable up to life imprisonment.
 
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