पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली तेज बहादुर की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
नई दिल्ली। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से पर्चा भरने वाले पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस चुनाव में पीएम मोदी की जीत हुई थी जबकि तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज (मंगलवार) तेज बहादुर यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने वाराणसी से पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती दी थी। बता दें कि 18 नवंबर को हुई सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने याचिका में आदेश सुरक्षित रखा था। इस दौरान अदालत ने कहा था कि यह देश के सबसे महत्वपूर्ण कार्यालय यानी पीएमओ से संबंधित मुद्दा इसलिए इसे अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता के वकील द्वारा सुनवाई के दौरान कई बार तारीख मांगने पर की थी।
Recommended Video
बता दें कि पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने सुनवाई की। गौरतलब है कि यह मामला पिछले साल, 2019 में हुए लोकसभा चुनाव का है। बीएसएफ से बर्खास्त होने वाले पूर्व जवान तेज बहादुर यादव ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। हालांकि आज तक वह कभी चुनाव लड़ नहीं सके। तेज बहादुर ने मतदान से पहले दो बार नामांकन भरा था, जिसे वाराणसी के ज़िला निर्वाचन कार्यालय ने खारिज कर दिया। पूर्व जवान ने पहले 24 अप्रैल, 2019 को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर और दूसरी बार 29 अप्रैल, 2019 को सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा था।
नामांकन रद्द होने से नाराज तेज बहादुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिस पर उच्चतम न्यायालय ने आज सुनवाई की है। अपनी याचिका में तेज बहादुर ने दावा किया था कि उनके निर्वाचन को रद्द करना अनुचित था। 18 नवंबर की सुनवाई के दौरान तेज बहादुर के वकील द्वारा सुनवाई को स्थगित करने की मांग पर बेंच ने कहा कि आप न्याय की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं, बहस कर रहे हैं, हमें आपको स्थगन की छूट क्यों देनी चाहिए। इस पर वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने पहले निर्दलीय के तौर पर पर्चा भरा था और फिर बाद में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था, फिर भी उनको चुनाव नहीं लड़ने दिया गया।
यह भी पढ़ें: इजरायल के पीएम नेतन्याहू और सऊदी प्रिंस MBS की Secret meeting, खाड़ी देशों में पक रही खिचड़ी!