शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका, अब क्यूरेटिव याचिका भी खारिज
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद करने वाले फैसले के खिलाफ दाखिल शिक्षामित्रों की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने इस याचिका को 6 अगस्त को ही खारिज कर दिया था, लेकिन उसका विवरण अब सामने आया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पहले ही 30 जनवरी 2018 को खारिज कर चुका है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोबडे, एनवी रमना और यूयू ललित की पीठ ने शिक्षा मित्रों की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका पर 6 अगस्त को सुनवाई की थी। इस सुनवाई के दौरान तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। लेकिन फैसला अब वेबसाइट पर उपलब्ध हुआ है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश में कहा है कि उन्होंने याचिका और उसके साथ दाखिल दस्तावेजों पर गौर किया जिसमें पाया कि यह मामला क्यूरेटिव याचिका पर विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में तय मानकों में नहीं आता इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार अस्थाई कर्मचारियों को बतौर स्थाई कर्मचारी नियुक्त करने के लिए भर्ती परीक्षाओं में अनुभव के आधार पर आयु में छूट दे सकती है लेकिन न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता से समझौता नहीं किया जा सकता। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षक के तौर पर शिक्षामित्रों के समायोजन को रद करने के हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था।
कोर्ट ने कहा था कि अगर शिक्षामित्र जरूरी योग्यता हासिल कर लेते हैं तो उन्हें लगातार दो बार के भर्ती विज्ञापनों में मौका दिया जायेगा। उन्हें आयु में छूट मिलेगी साथ ही उनके अनुभव को भी प्राथमिकता दी जाएगी। कोर्ट ने कहा था कि जबतक उन्हे ये मौका मिलता है तब तक राज्य सरकार चाहे तो उन्हें समायोजन से पहले की शर्तो के आधार पर शिक्षामित्र के रूप में काम करने दे सकती है। कोर्ट ने कहा था कि शिक्षा मित्रों का कैरियर बच्चों को मिलने वाली मुफ्त और गुणवत्ता की शिक्षा की शर्त पर नहीं हो सकता।
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