इन 8 राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने आज शुक्रवार को आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए दायर की गई याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मुद्दे को अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा तय किया जाना चाहिए और याचिकाकर्ता को आयोग से संपर्क करने के लिए कहा। जनहित याचिका के जरिए आठ राज्यों- जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लक्षद्वीप, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में हिंदुओं को अल्पमत का दर्जा मांगा गया था। अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि हिंदू इन राज्यों में अल्पसंख्यक हैं लेकिन राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की गैर-पहचान और गैर-सूचना के चलते उनके वैध लाभों में हस्तक्षेप किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि 'केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों के लिए तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में 20,000 छात्रवृत्ति की पेशकश की। जम्मू और कश्मीर में मुसलमान 68.30% हैं और सरकार ने 753 छात्रवृत्तियों में से 717 छात्रों को मुस्लिम छात्रों को आवंटित किया है, लेकिन हिंदू छात्रों को नहीं।' 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं आठ राज्यों लक्षद्वीप (2.5%), मिजोरम (2.75%), नागालैंड (8.75%), मेघालय (11.53%), जम्मू और कश्मीर (28.44%), अरुणाचल प्रदेश (29 %), मणिपुर (31.39%) और पंजाब (38.40%) में अल्पसंख्यक हैं।
याचिका में कहा गया है कि लक्षद्वीप (96.20%) और जम्मू और कश्मीर (68.30%)असम (34.20%), पश्चिम बंगाल (27.5%), केरल (26.60%), उत्तर प्रदेश (1 9 .30%) और बिहार (18%) में में मुसलमान बहुसंख्यक हैं।