जस्टिस अरुण मिश्रा ने की थी पीएम मोदी की तारीफ, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने की बयान की निंदा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में उनके पीएम मोदी की तारीफ करते हुए दिए बयान पर विवाद पैदा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने जस्टिस मिश्रा के बयान की निंदा की है। एससीबीए का मानना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की मूल भावना और इस भावना को बनाए रखना चाहिए।
एसबीसीए ने अपने बयान में कहा कि बार एसोसिएशन संविधान और न्यायपालिका में अपने विश्वास को दोबारा जाहिर करता है और न्याय के प्रशासन के इसी भावना से काम करने की अपील करता है। एसोसिएशन ने कहा कि इस तरह का आचरण न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता के बारे में लोगों की अवधारणा को कमजोर कर सकता है।
एसबीसीए ने अपने बयान में कहा कि जजों का ये बुनियादी कर्तव्य है कि सरकार की कार्यपालिका शाखा से गरिमामय दूरी बनाए रखें। जस्टिस अरुण मिश्रा के बयान पर एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कई सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे के अलावा उपाध्यक्ष कैलाश वासदेव, संयुक्त सचिव रोहित पांडेय और ट्रेजरर मीनेश दुबे के भी हस्ताक्षर हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरूण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय दूरद्रष्टा और बहुमुखी प्रतिभा वाला ऐसा नेता बताया था जिनकी सोच वैश्विक स्तर की है, लेकिन स्थानीय हितों को अनदेखा नहीं करते। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि भारत पीएम मोदी के 'नेतृत्व' के तहत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक जिम्मेदार और सबसे दोस्ताना सदस्य है। उन्होंने आगे कहा था कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोगों को हैरानी होती है कि यह लोकतंत्र कैसे इतनी कामयाबी से काम करता है।