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ट्रिपल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी फांसी की सजा, ये है फैसले की वजह

कोर्ट ने निसार रमजान सैय्यद को उसकी पूरी जिंदगी के लिए जेल में बंद करने का आदेश दिया। उसने साल 2010 में अपनी गर्भवती पत्नी और तीन साल के बेटे को मार डाला था।

By Brajesh Mishra
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नई दिल्ली। ट्रिपल मर्डर के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को मौत की सजा देने से इनकार किया है। उस शख्स पर दहेज के लिए गर्भवती पत्नी और दो बच्चों को जिंदा जला दिया था। अपराध को देखते हुए इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट की कैटगरी में रखा जाना चाहिए लेकिन इस मामले में कोर्ट न अपना रुख बदल दिया।

ट्रिपल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी फांसी की सजा, ये है फैसले की वजह

कोर्ट ने कहा संभव नहीं है मौत की सजा
मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस पिंकी सी घोसे और जस्टिस आरएफ नरीमन ने शुक्रवार को कहा, 'आज मौत की सजा की सबसे बड़ी सजा के तौर पर स्थापित हो चुकी है जो कि कहीं न कहीं सजा देने की सुधारात्मक थ्योरी के खिलाफ है। इस मामले में सबूतों और स्थिति को ध्यान में रखते हुए ये सजा देना संभव नहीं है।'

2010 में की थी हत्या
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को मरते समय तक जेल में बंद रखे जाने का फैसला भी सजा के दायरे को पूरा करता है। कोर्ट ने निसार रमजान सैय्यद को उसकी पूरी जिंदगी के लिए जेल में बंद करने का आदेश दिया। उसने साल 2010 में अपनी गर्भवती पत्नी और तीन साल के बेटे को मार डाला था।

लॉ कमिशन की सिफारिशों का हवाला
कोर्ट ने कहा, 'हमने लॉ कमिशन की सिफारिशों को नोटिस किया है और उसमें साफ तौर पर मौत की सजा सिर्फ आतंकवाद संबंधी अपराध या देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की स्थिति में ही देने की बात कही गई है।' कोर्ट ने कहा कि आरोपी को उसकी पत्नी के बयान के आधार पर दोषी ठहराया गया है जो उसने मरने से ठीक पहले दिया था।

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English summary
Supreme court avoids capital punishment in a triple murder case .
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