लोन मोरेटोरियम: 3 दिन के अंदर ब्याज पर होगा फैसला, SC ने RBI को दिया आदेश
नई दिल्ली: लोन मोरेटोरियम का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई और वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा है। साथ ही दोनों को तीन दिन के अंदर संयुक्त बैठक कर ब्याज को लेकर फैसला लेने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वो ब्याज माफ करने की बात नहीं कर रहे, कोर्ट को सिर्फ ज्यादा ब्याज लेने पर आपत्ति है। ब्याज माफ करने पर आरबीआई ने दो लाख करोड़ के नुकसान की बात कही थी।
दरअसल आरबीआई ने लोन मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त तक तो बढ़ा दी थी, लेकिन अभी इस मामले में कई सारे सवाल ग्राहकों के मन में हैं। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता सिर्फ इतनी है कि क्या अभी स्थगित किए गए ब्याज को बाद में देय शुल्क के साथ जोड़ा जाएगा या फिर ब्याज पर ब्याज लगाया जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई को साफ शब्दों में कहा कि वो ब्याज को माफ करने के लिए नहीं कह रहे हैं, वो सिर्फ उसे टालने की बात कह रहे हैं।
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कोर्ट के मुताबिक अभी जो EMI में छूट बैंकों ने दी है, बाद में उस पर ज्यादा ब्याज नहीं लेना चाहिए। इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में आरबीआई और वित्त मंत्रालय के अधिकारी इसी हफ्ते बैठक करने वाले हैं। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि तीन दिन के अंदर आरबीआई वित्त मंत्रालय के साथ बैठक करे और इस मामले का निष्कर्ष निकाले। मामले की अगली सुनवाई 17 जून को होनी है।
क्या
है
लोन
मोरेटोरियम?
दरअसल
लॉकडाउन
की
वजह
से
सभी
कामकाज
बंद
हो
गए
थे।
घर
का
खर्च
लोग
किसी
तरह
से
चला
ले
रहे
थे,
लेकिन
EMI
जमा
करने
को
लेकर
उनके
सामने
बड़ा
संकट
खड़ा
हो
गया
था।
जिस
पर
राहत
देते
हुए
सरकार
ने
लोन
मोरेटोरियम
शुरू
किया।
इसके
तहत
31
अगस्त
यानी
छह
महीने
तक
लोगों
को
EMI
जमा
करने
की
छूट
मिली
थी।
आरबीआई
की
घोषणा
के
बाद
से
ब्याज
को
लेकर
कंफ्यूजन
बना
हुआ
था।
जिसके
बाद
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
कर
कहा
गया
कि
बैंक
EMI
पर
मोहलत
देने
के
साथ
ही
ब्याज
लगा
रहे
हैं,
जोकि
पूरी
तरह
से
गलत
है।
इस
मामले
में
आरबीआई
ने
भी
कोर्ट
में
हलफनामा
पेश
किया
था।
जिसमें
कहा
गया
कि
ब्याज
माफ
किए
जाने
से
बैंकों
को
दो
लाख
करोड़
का
नुकसान
होगा।