IPC 498A: दहेज उत्पीड़न केस में SC का बड़ा फैसला, पुलिस को जरूरी लगे तो ही हो गिरफ्तारी
नई दिल्ली। दहेज उत्पीड़न मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले के पुराने फैसले में संशोधन करते हुए कहा है कि पुलिस को जरूरी लगे तो वह आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। मामले की शिकायत की जांच के लिए कमेटी की जरूरत नहीं है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट दहेज उत्पीड़न मामले (498A) में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक के खिलाफ दायर याचिक पर सुनवाई कर रहा था।
विक्टिम
प्रोटेक्शन
के
लिए
गिरफ्तारी
जरूरी
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दहेज
उत्पीड़न
मामले
में
आरोपियों
की
तुरंत
गिरफ्तारी
पर
लगे
रोक
को
हटाते
हुए
कहा
कि
विक्टिम
प्रोटेक्शन
के
लिए
ऐसा
जरूरी
है।
कोर्ट
ने
कहा
कि
आरोपी
के
लिए
अग्रिम
जमानत
का
विकल्प
खुला
हुआ
है।
आरोपी
चाहे
तो
कोर्ट
से
अग्रिम
जमानत
ला
सकता
है।
लेकिन
पीड़ित
की
सुरक्षा
के
लिए
आरोपी
की
गिरफ्तारी
जरूरी
है।
बता
दें
कि
इसी
साल
अप्रैल
महीने
में
कोर्ट
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
करते
हुए
फैसला
सुरक्षित
रख
लिया
था।
जिसके
बाद
आज
कोर्ट
ने
फैसला
सुना
दिया।
2017
के
फैसेल
को
कोर्ट
ने
पलटा
बता
दें
कि
साल
2017
में
27
जुलाई
को
सुप्रीम
कोर्ट
की
दो
जजों
की
बेंच
ने
अपने
फैसले
में
कहा
था
कि
आईपीसी
की
धारा-498
ए,
दहेज
प्रताड़ना
के
केस
में
गिरफ्तापी
सीधे
नहीं
होगी।
कोर्ट
ने
यह
भी
कहा
था
कि
दहेज
प्रताड़ना
मामले
को
देखने
के
लिए
हर
जिले
में
एक
परिवार
कल्याण
समिति
बनाई
जाए
जो
पीड़ित
की
शिकायत
की
जांच
करे
और
फिर
समिति
की
रिपोर्ट
आने
के
बाद
अगर
लगता
है
कि
आरोपी
की
गिरफ्तारी
जरूरी
है
तो
पुलिस
गिरफ्तार
कर
सकती
है।
उससे
पहले
आरोपी
की
गिरफ्तारी
नहीं
होगी।
यह भी पढ़ें-वाराणसी में अपना जन्मदिन मनाएंगे पीएम मोदी, 5 हजार बच्चों संग देखेंगे बॉयोपिक