नागरिकता कानून के खिलाफ कांग्रेस और प्रद्योत देब बर्मन की याचिकाओं पर 18 दिसंबर को सुनवाई
नागरिकता कानून के खिलाफ याचिकाओं पर 18 दिसंबर को सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस और त्रिपुरा के पूर्व राजपरिवार के किरीट प्रद्योत देब बर्मन की याचिकाओं पर सुनवाई करना स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट 18 दिंसबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। ये याचिकाएं कानून की वैधता पर सवाल उठाती हैं और अदालत से कानून को रद्द करने की मांग करती हैं।
नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो दर्जन से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। सर्वोच्च अदालत में अब तक पीस पार्टी, रिहाई मंच, जयराम रमेश, प्रद्योत देब बर्मन, जन अधिकार पार्टी, एमएल शर्मा, असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा की ओर से याचिकाएं डाली गई हैं। इनकी मांग है कि इस कानून को रद्द कर दिया जाए।
नागरिकता संशोधन एक्ट, 2019 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। बीते हफ्ते कानून सदन से पास हुआ है। इस कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दल और कई संगठन भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं।
नागरिकता संशोधन कानून का देश के कई हिस्सों, खासतौर से पूर्वोत्तर में भारी विरोध हो रहा है। असम के कई जिलों में बीते कुछ दिनों में लोगों ने इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किए हैं। भारी तोड़फोड़ और आगजनी के बाद कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा को रोक दिया गया है। गुवाहाटी में कर्फ्यू लगाया गया है। पुलिस फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। कई लोग घायल भी हुए हैं।
नागरिकता एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा