सुप्रीम कोर्ट ने लगाई बीजेपी शासित राज्यों के 'लव जिहाद' कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर रोक
Supreme Court on Love Jihad Laws: उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार की ओर से पारित 'लव जिहाद' कानून को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। इससे पहले 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लागू अंतर धार्मिक विवाह के कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालांकि विवादास्पद कानूनों की समीक्षा करने पर कोर्ट तैयार हो गया था।
दरअसल, बीजेपी शासित राज्यों ने 'लव जिहाद' को गंभीर समस्या मानकर कानून बनाने का ऐलान किया था, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकार की ओर से अंतर धार्मिक विवाह पर कानून बनाया गया। जिसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में उत्तर प्रदेश निषेध धर्म परिवर्तन अध्यादेश, 2020 और उत्तराखंड फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट, 2018 को चुनौती देने की बात कही गई। वकील विशाल ठाकरे और अभय सिंह यादव और कानून शोधकर्ता प्रणवेश की दायर याचिका में कहा गया कि यूपी अध्यादेश संविधान के मूल ढांचे को बिगाड़ता है। वहीं याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि संसद के पास मौलिक अधिकारों में संशोधन करने की कोई शक्ति नहीं है और यदि इस अध्यादेश को लागू किया जाता है, तो यह बड़े पैमाने पर जनता को नुकसान पहुंचाएगा और समाज में अराजक स्थिति पैदा करेगा।
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वहीं सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया गया कि यह अध्यादेश समाज के बुरे तत्वों के हाथों में एक शक्तिशाली हथियार बन सकता है, ताकि इस अध्यादेश का उपयोग किसी को गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जा सके, यह भी तर्क दिया कि इस तरह के किसी भी कार्य में शामिल न होने वाले व्यक्तियों को झूठे तरीके से फंसाने की संभावनाएं हैं यदि यह अध्यादेश पारित हो गया तो घोर अन्याय होगा।