क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्यों गुरदासपुर में 'हाथ के पंजे' से कमजोर नजर आ रहा है 'ढाई किलो का हाथ'?

Google Oneindia News

नई दिल्ली- सनी देओल बड़े स्क्रीन पर भले ही विरोधियों को पटखनी देने में माहिर हों और नेश्नलिस्ट एक्टर के तौर पर उनकी छवि माचो मैन (Macho man) वाली हो, लेकिन, उनके लिए सियासत की रियल लाइफ, रील लाइफ जितनी आसान नहीं रहने वाली। क्योंकि, बीजेपी ने उन्हें पार्टी में शामिल करके जिस सीट पर उतारा है, वहां से पंजाब कांग्रेस के चीफ सुनील जाखड़ मौजूदा सांसद हैं, जो 2017 में विनोद खन्ना के निधन के बाद उपचुनाव में विजय हुए थे। इसके अलावा कई और चीजें हैं, जो देओल की राह में रोड़े बन सकते हैं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि वो कौन सी बातें हैं, जिसके चलते कांग्रेस का 'हाथ',सनी देओल के 'ढाई किलो का हाथ' पर फिलहाल भारी पड़ता नजर आ रहा है।

सनी देओल के पक्ष में क्या है?

सनी देओल के पक्ष में क्या है?

सनी देओल को गुरदासपुर में पेश आने वाली दिक्कतों पर विचार करें, उससे पहले ये देख लेते हैं, कि उनके पक्ष में क्या हैं, जिसके बारे में सोचकर भाजपा ने उनकी उम्मीदवारी पर भरोसा किया है। अगर भाजपा के नजरिए से देखें तो गुरदासपुर में सनी देओल के पक्ष में कई चीजें जाती हैं। मसलन, यहां के मतदाता विनोद खन्ना जैसे फिल्म स्टार को 4 बार चुनकर संसद भेज चुकी है। खन्ना ने अपने क्षेत्र के लोगों को कभी निराश भी नहीं किया था। खन्ना ने कांग्रेस से उसके गढ़ को छीनकर वहां अपना दबदबा बना लिया था। 1952 से इस सीट पर जीतती आ रही कांग्रेस को उन्होंने ही पहली बार 1998 में हराया। वे 2009 तक सांसद रहे। लेकिन, 2009 का इलेक्शन वे हार गए थे। 2014 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस के तत्कालीन सांसद प्रताप सिंह बाजवा को हरा दिया। यानी अगर गुरदासपुर के मतदाताओं ने खन्ना पर बार-बार भरोसा किया था, तो इससे जाहिर है कि उन्हें अभिनेताओं को अपना सांसद चुनने से परहेज नहीं है और देओल के लिए यह सकारात्मक संकेत है।

पर्दे पर देओल की छवि काम आ सकती है

पर्दे पर देओल की छवि काम आ सकती है

भारतीय जनता पार्टी मौजूदा लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ रही है। 'बॉर्डर' और 'गदर-एक प्रेम कथा' जैसी फिल्मों के चलते देओल की छवि राष्ट्रवादी हीरो की बनी हुई है। यह क्षेत्र बॉर्डर से भी सटा हुआ है और यहां 2015 में दीनानगर और 2016 में पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले भी हो चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए यह सोचना गैर-वाजिब नहीं है कि गुरदासपुर के लिए सनी देओल एक बेहद फिट ज्वाइस हैं। क्योंकि, दर्शकों तो यही छवि बनी हुई है कि सनी पाकिस्तान में अकेले भी घुसकर वहां की सेना की ऐसी की तैसी कर सकते हैं। यह उनकी लोकप्रियता की बड़ी वजह है, इसमें दो राय नहीं हो सकती।

इसे भी पढ़ें- स्टार्स के मामले में मेहरबान हैं भाजपा की किस्मत के सितारेइसे भी पढ़ें- स्टार्स के मामले में मेहरबान हैं भाजपा की किस्मत के सितारे

जाखड़ से मुकाबला आसान नहीं होगा

जाखड़ से मुकाबला आसान नहीं होगा

ऊपर की परिस्थितियां भले ही सनी देओल के लिए आसान लग रही हों, लेकिन सुनील जाखड़ से मुकाबले के चलते उनका यह चुनावी दांव केकवॉक नहीं रहने वाला है। जाखड़ ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया है कि उन्होंने क्षेत्र के लिए बहुत सारे काम किए हैं। पठानकोट में 12 सौ करोड़ की पेप्सी बॉटलिंग प्लांट लगवाने में उन्होंने सहायता की है, जो सैकड़ों जॉब दे सकता है। वे शहर के विकास समेत क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस खोजने के लिए संबंधित एजेंसियों से सहायता लेने का भी प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं, गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र में आने वाले 9 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। पंजाब में अभी कांग्रेस की सरकार है और राज्य में कैप्टन अमरिंदर सिंह का दबदबा बरकरार है।

पार्टी के अंदर भी हो सकता है विरोध

पार्टी के अंदर भी हो सकता है विरोध

जानकारी के मुताबिक विनोद खन्ना की पत्नी कविता परिवार के सदस्य को टिकट नहीं मिलने से नाखुश हैं। शुरू में विनोद खन्ना के बेटे एक्टर अक्षय खन्ना को भी यहां से टिकट मिलने की बात उठी थी। खबरों के मुताबिक कविता और स्वर्ण सलारिया के समर्थकों ने उन्हें देओल के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी दबाव डाला है। सलारिया 2017 का उपचुनाव जाखड़ से हार गए थे। कविता ने अभी तक अपनी अगली रणनीति का खुलासा नहीं किया है। लेकिन, निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में वो अपना पत्ता भी नहीं खोल रही हैं। हालांकि, कविता हों या सालरिया भाजपा से अलग लड़कर वो चुनाव जीत तो नहीं सकते, लेकिन सनी देओल की राह मुश्किल जरूर कर सकते हैं।

देओल का इमेज ही उन्हें धोखा भी दे सकता है

देओल का इमेज ही उन्हें धोखा भी दे सकता है

गुरदासपुर में ही डेरा बाबा नानक वह स्थान है, जहां से सिख तीर्थयात्रियों के लिए पाकिस्तान में करतारपुर तक कॉरिडोर शुरू होना है। गुरदासपुर में सिखों की जनसंख्या लगभग आधी है, जो करतारपुर कॉरिडोर के लिए पाकिस्तान के साथ अभी अच्छा ही संबंध रखना चाहेंगे। अगर उन्हें लगेगा कि पीएम मोदी या सनी देओल की पाकिस्तान विरोधी सख्त नीति पाकिस्तान से भारत के ताल्लुकात बिगाड़ सकता है, तो वे देओल को सपोर्ट करने के बारे जरूर दोबारा सोचने को मजबूर हो सकते हैं।

इसे भी पढ़ें- जम्‍मू कश्‍मीर: LoC पार से हथियार और ड्रग्‍स की स्‍मगलिंग करने वाले 10 आतंकियों की हुई पहचानइसे भी पढ़ें- जम्‍मू कश्‍मीर: LoC पार से हथियार और ड्रग्‍स की स्‍मगलिंग करने वाले 10 आतंकियों की हुई पहचान

Comments
English summary
Sunny Deol: Will 'dhai kilo ka haath' prove to be heavier than the Congress hand?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X