सुंजवान आतंकी हमला: एक ही घर से हमले में बेटा शहीद तो पिता की मौत
त्राल में मंगलवार को लांस नायक मोहम्मद इकबाल और उनके पिता गुलाम मोइनुद्दीन शेख को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों को हुजूम उमड़ा था। त्राल का यह माहौल उन लोगों की सोच बदलने के लिए काफी है जो यही सोचते हैं कि दक्षिण कश्मीर की इस जगह से बस बुरहान वानी जैसे आतंकी ही निकल सकते हैं।
त्राल। जम्मू कश्मीर के त्राल में मंगलवार को जो नजारा था, उसकी कल्पना आपमें से किसी ने नहीं की होगी। यहां के एक घर से सुंजवान आतंकी हमले में जहां एक शहीद हुआ तो वहीं एक की मौत हो गई। त्राल में मंगलवार को लांस नायक मोहम्मद इकबाल और उनके पिता गुलाम मोइनुद्दीन शेख को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों को हुजूम उमड़ा था। त्राल का यह माहौल उन लोगों की सोच बदलने के लिए काफी है जो यही सोचते हैं कि दक्षिण कश्मीर की इस जगह से बस बुरहान वानी जैसे आतंकी ही निकल सकते हैं।
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13 वर्ष की उम्र में सेना से जुड़े थे इकबाल
मोहम्मद इकबाल की उम्र 32 वर्ष थी जब शनिवार को वह जम्मू के सुंजवान में हुए आर्मी कैंप में शहीद हुए। उनकी उम्र बस 13 वर्ष की थी जब वह सेना का हिस्सा बने। एक हफ्ते पहले लांस नायक इकबाल ने अपने पिता को मेडिकल चेकअप के लिए जम्मू बुलाया था। उनके पड़ोसियों की मानें तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके परिवार ने पिता और बेटे दोनों को इस हमले में गंवा दिया है। पड़ोसी गुलाम कादिर कहते हैं कि अब तो खुदा ही जाने के परिवार का क्या होगा।
नम आंखों से दी गई विदाई
एक रिश्तेदार ने बताया कि मंगलवार की सुबह परिवार को दोनों के बारे में जानकारी दी थी। इकबाल की मां बहुत बीमार हैं इसलिए उन्हें इस बारे में नहीं बताया गया था। इकबाल के पिता गुलाम मोइनुद्दीन के शव को पास ही स्थित पुराने कब्रिस्तान में दफन किया गया। इसके बाद इकबाल के शव को भी वहीं दफन किया गया। सैंकड़ों लोगों ने नम आंखों से पिता और बेटे को विदाई दी।
स्पेशल प्लेन से शव पहुंचे घर तक
हमले में शहीद चार जवानों और एक नागरिक के शव को जम्मू से एक स्पेशल मिलिट्री प्लेन के जरिए एयरलिफ्ट करके लाया गया था। इसके बाद शवों को रंगरेथ स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इनफेंट्री सेंटर ले जाया गया। यहां पर सीनियर ऑफिसर ने जवानों का श्रद्धांजलि दी। यहां से शवों को गांवों के लिए रवाना कर दिया गया। जहां दो जवानों के शव दक्षिण कश्मीर आए तो दो जवानों के शव कुपवाड़ा भेजे गए।
बर्फबारी में भी जुटे रहे लोग
लांस नायक इकबाल से अलग कुपवाड़ा के बाटापोरा गांव में भारी बर्फबारी के बीच भी सैंकड़ों लोग हवलदार हबीबुल्ला कुरैशी के अंतिम संस्कार में आए थे। कुरैशी के घर में उनकी पत्नी, छह बेटियां और माता-पिता हैं। उनके पिता अमानुल्ला कुरैशी भी सेना से रिटायर हैं।
आर्मी ऑफिसर ने भी दी श्रद्धांजलि
वहीं जेसीओ मोहम्मद अशरफ मीर के घर भी आर्मी ऑफिसर्स की भीड़ थी। मीर लोलाब के मैदानपोरा गांव के रहने वाले थे। मीर के घर में उनकी पत्नी, तीन बच्चे और माता-पिता हैं। एक और जवान मंजूर अहमद का अंतिम संस्कार भी दक्षिण कश्मीर स्थित उनके गांव में किया गया।