सुनील देवधर बोले- माणिक सरकार के घर से मिला महिला का कंकाल, सेप्टिक टैंकों की सफाई के बाद बंगलों में प्रवेश करें मंत्री
अगरतला। त्रिपुरा की नई भाजपा सरकार शपथ लेते ही एक्शन मोड में आ गई है। त्रिपुरा भाजपा की जीत के हीरो रहे सुनील देवधर ने एक ट्वीट कर त्रिपुरा के नवनियुक्त मुख्यमंत्री बिपल्ब कुमार देव से कहा कि सभी मंत्रियों के क्वार्टर के सेप्टिक टैंक उनके आने से पहले साफ करवाए जाएं क्योंकि माणिक सरकार के क्वार्टर में सेप्टिक टैंक से एक नरकंकाल निकला था। यह आग्रह 2005 की उस घटना को देखते हुए किया है जिसमें सीएम हाउस के सेप्टिक टैंक में एक महिला का कंकाल मिला था।
पूर्व मुख्यमंत्रीके आवास के सेप्टिक टैंक से एक महिला का कंकाल मिला था
ऐसा माना जा रहा है कि सुनील देवधर सरकार बदलने के बाद भी वह लेफ्ट को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि, 'शायद आपको याद हो कि 4 जनवरी, 2005 को पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार के आवास में बने सेप्टिक टैंक से एक महिला का कंकाल मिला था, लेकिन इस मामले को जानबूझकर दबा दिया गया।' 13 साल पहले सीएम के घर से शव मामले में नई बीजेपी सरकार फिर से जांच शुरू कर सकती है। बता दें कि त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शुक्रवार को अपने शपथ ग्रहण समारोह में माणिक सरकार के पैर छूकर उनका आर्शीवाद लिया था। उन्होंने माणिक सरकार के पैर छूने पर कहा, 'मैंने शपथग्रहण समारोह के दौरान माणिक सरकार के पैर इसीलिए छुए क्योंकि मैं अपनी संस्कृति और परंपरा का आदर करता हूं।'
त्रिपुरा जीत के मैन ऑफ द मैच हैं सुनील देवधर
त्रिपुरा में भाजपा की बड़ी जीत का क्रेडिट सुनील देवधर को मिल रहा है। त्रिपुरा में बीजेपी की जीत कोई रातों-रात हुआ करिश्मा नहीं बल्कि बीते साढ़े तीन साल में सुनील देवधर द्वारा की गई मेहनत का नतीजा है। महाराष्ट्र के रहने वाले सुनील देवधर अपनी सोशल इंजिनियरिंग और बूथ लेवल मैनेजमेंट के लिए मशहूर हैं। देवधर 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट पर पीएम मोदी के चुनाव प्रबंधक भी रह चुके हैं। त्रिपुरा में जीत पर सुनील देवधर ने हिंदी न्यूज़ चैनल आज तक से बात करते हुए बताया कि राज्य में संगठन खड़ा करने के लिए उन्होंने खुद पर बहुत काम किया। सुनील देवधर ने कहा कि उन्हें अपनी फूड हैबिट तक में भी बदलाव करना पड़ा। बीजेपी नेता ने बताया कि उन्हें यहां पोर्क यानि सूअर का मांस भी खाना पड़ा।
मछली न खाने की खाई थी कसम
देवधर के मुताबिक उन्हें बंगाली मछली बहुत पंसद है लेकिन सावन के महीने में धार्मिक कारणों से मैंने इसे खाना छोड़ा था। मानसून में मछली खाना छोड़ने के साथ ही मैंने प्रण लिया था कि राज्य में लेफ्ट की शिकस्त के बाद ही मैं दोबारा मछली खाऊंगा। उस वक्त विरोधियों ने उपहास किया था कि इस साल ऐसा नहीं होगा और फिर मुझे 5-6 साल तक मछली खाना नसीब नहीं होगी। मैं अपने विश्वास पर डटा रहा और जिसे कांग्रेस वहीं कभी नहीं कर पाई उसे मैंने तीन साल में पूरी कर दिखाया और त्रिपुरा में लेफ्ट की शिकस्त के बाद मैंने 4 मार्च को मछली खाई।