भारत-चीन सीमा विवाद पर बोले चीनी राजदूत, फाइनल सेटलमेंट से पहले शांति जरूरी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन से पहले भारत में चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने दोनों देशों के बीच के कई अहम मुद्दों पर चीन का पक्ष रखा। भारत-चीन सीमा मुद्दे पर बोलते हुए वीदोंग ने कहा कि, सीमा प्रश्न के फाइनल सेटलमेंट से पहले हमें संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने की जरूरत है। चीनी राजदूत ने कहा कि, पड़ोसियों में मतभेद होना सामान्य बात है। लेकिन मतभेदों को बातचीत और आपसी सहमति के माध्यम से समाधान किया जा सकते हैं।
चीन-भारत के रिश्ते द्विपक्षीय संबंधों के दायरे से आगे जा चुके हैं और वैश्विक एवं सामरिक महत्व ग्रहण कर चुके हैं। उन्होंने कहा 'वुहान शिखर बैठक के सकारात्मक प्रभाव लगातार उजागर हो रहे हैं। चीनी राजदूत ने कहा कि, चीन भारत में चीनी कंपनियों को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। उम्मीद करता है कि भारत और अधिक निष्पक्षता प्रदान करेगा और चीनी कंपनियों के लिए भारत में काम करने के लिए अनुकूल और सुविधाजनक कारोबारी माहौल देगा।
दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों पर बोलते हुए सुन वीदोंग ने कहा कि, हमें अंतर प्रबंधन के मॉडल से परे जाना चाहिए, सक्रिय रूप से द्विपक्षीय संबंधों को आकार देना चाहिए और सकारात्मक ऊर्जा का संचय करना चाहिए। सुन ने कहा कि, हमें विनिमय और सहयोग बढ़ाना चाहिए, हितों के अभिसरण को बढ़ावा देना चाहिए और सामान्य विकास हासिल करना चाहिए। भारत-चीन के बीच बढ़ते व्यापार घाटे पर चीनी
राजदूत ने कहा कि, चीन ने कभी भी व्यापार अधिशेष का पीछा नहीं किया है। चीन और भारत के बीच व्यापार असंतुलन काफी हद तक उनकी औद्योगिक संरचनाओं में अंतर का परिणाम है। चीन ने भारत से आयात बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जिनमें चीन द्वारा भारतीय सामानों पर आयात शुल्क कम करना भी शामिल है। भारत-चीन क्षेत्रीय स्थिति पर चीनी राजदूत ने कहा कि, क्षेत्रीय स्तर पर हमें बातचीत और परामर्श के माध्यम से विवादों को हल करना चाहिए। संयुक्त रूप से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखना चाहिए।
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