कोरोना वायरस: तमिलनाडु में अचानक से बढ़े मौत के आंकड़े, उठ रहे कई सवाल
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का कहर पूरे देश में तेजी से बढ़ता जा रहा है। तमिलनाडु भी कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है, जो महाराष्ट्र, दिल्ली के बाद देश में तीसरे स्थान पर है। मौजूदा वक्त में राज्य में 78 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 1025 मौतें हुई हैं। जानकारों के मुताबिक अगर मई में वक्त रहते सही कदम उठाए गए होते, तो आज ये स्थिति नहीं होती। वहीं अचानक से मौत के आंकड़े बढ़ने से भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
68 फीसदी मामले चेन्नई से
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 30 मई को तमिलनाडु में मृतकों की संख्या 160 थी, जो अब 27 जून तक 1025 हो गई। इसी तरह पॉजिटिव केस की संख्या भी 30 मई को 21184 थी, जो अब बढ़कर 78335 हो गई। इसमें सबसे ज्यादा 68 प्रतिशत मामले तो सिर्फ चेन्नई से आए हैं। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तमिलानाडु ने एक महत्वपूर्ण चरण में कुछ चीजों को गलत किया, जिस वजह से वर्तमान में ये संकट पैदा हुआ है। अगर लॉकडाउन समेत कई जरूरी कदम उठाए जाएं तो आने वाले दिनों में बढ़ते केस से राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली प्रभावित होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य आज अच्छी स्थिति में होता, अगर मई में ही जांच की संख्या को बढ़ा दिया गया होता, खासकर चेन्नई में। इस बीच निगमों, स्वास्थ्य विभाग और राजनीतिक नेतृत्व में समन्वयन की कमी भी रही। जिससे राज्य में मामले तेजी से बढ़े हैं।
अचानक बढ़ा मौत का आंकड़ा
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में एक मई को 2526 मामले सामने आए थे, जबकि 28 मौतें हुई थीं। इसके बाद 30 मई को ये आंकड़ा 13191 पहुंच गया, जबकि 87 मौते हुईं। एक मई को रोजाना टेस्टिंग की संख्या 9615 थी, इसके 40 दिन बाद 20 जून को जाकर रोजाना टेस्टिंग की संख्या 33 हजार हुई। टेस्टिंग बढ़ने से नए मामलों की संख्या बढ़ी, लेकिन मृत्युदर कैसे बढ़ी, इस पर अभी भी सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य में 30 मई तक 160 लोगों की मौत हुई थी, इसके बाद 10 जून तक 326 और 20 जून तक 704 लोगों की मौतें हुईं।
क्या आंकड़ों में हो रही हेराफेरी?
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक कोरोना के डेटा को मैनेज किया जा रहा या फिर उसमें हेराफेरी हो रही है। उनके मुताबिक आंकड़े इस वजह से भी बढ़े क्योंकि 10 जून के बाद उन मौतों को भी शामिल करना शुरू किया गया, जो छूट गईं थी। एक विवाद यह भी था कि चेन्नई नगर निगम ने स्वास्थ्य विभाग को 200 मौतों की सूचना अप्रैल के अंत तक नहीं दी थी। तमिलनाडु के स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक मौतों में वृद्धि नए केस साथ अनुपातित है। अस्पताल में आने वाले सभी मरीजों की जांच की जा रही है। जो मौतें हुई हैं, उसमें कैंसर समेत अन्य बीमारियों के मरीज शामिल हैं। मौजूदा वक्त में तमिलनाडु की मृत्युदर 1 प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा है, जो चिंता का विषय नहीं है।