Sushma Swaraj: 68वीं वर्षगांठ पर मिली ऐसी श्रद्धाजंलि, जिसकी पूर्व विदेश मंत्री थीं सच्ची हकदार!
बेंगलुरू। तेज तर्रार और बेहद लोकप्रिय में शुमार रहीं पूर्व विदेश मंत्री और दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की आज 68वीं वर्षगांठ हैं। बीजेपी ने सुषमा स्वराज के जन्म वर्षगांठ पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया। बीजेपी ने सुषमा स्वराज को यह श्रद्धांजलि भारतीय विदेश सेवा संस्थान (Indian Foreign service institue ) और भारतीय प्रवासी केंद्र (India oversease center) जैसे दो बड़े संस्थानों के नाम में उनका नाम जोड़कर दिया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय से जुड़े दो संस्थान अब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के नाम से जाने जाएंगे। यानी फॉरिन सर्विस इंस्टिट्यूट का नाम अब सुषमा स्वराज इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरिन सर्विस (Sushma Swaraj Institute of Foreign Service) के नाम से जाना जाएगा और प्रवासी भारतीय केंद्र को अब सुषमा स्वराज भवन (Sushma Swaraj Bhawan) के नाम से जाना जाएगा।
गौरतलब है दोनों संस्थान राष्ट्रीय राजधानी में स्थित हैं और विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज इन दोनों से खास नाता रहा है। इसकी सूचना विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ट्वीट में दिया। ट्वीट के जरिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय परिवार को खास तौर पर उनकी कमी खल रही है।
उन्होंने आगे कहा कि यह घोषणा करके हर्ष हो रहा है कि सरकार ने प्रवासी भारतीय केंद्र का नाम सुषमा स्वराज भवन और विदेश सेवा संस्थान का नाम सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट आफ फारेन सर्विस करने का निर्णय किया गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों संस्थानों का नया नामकरण भारतीय कूटनीति में सुषमा स्वराज के 'अमूल्य योगदान' को सम्मान है।
Glad to announce that the Government has decided to rename Pravasi Bhartiya Kendra as Sushma Swaraj Bhawan and Foreign Service Institute as Sushma Swaraj Institute of Foreign Service.
A fitting tribute to a great public figure who continues to inspire us.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 13, 2020
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 5 साल विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज
गुरूवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सुषमा स्वराज की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें याद करते हुए यह घोषणा की थी। यह निर्णय सुषमा स्वराज को भारतीय प्रवासी और सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान को देखते हुए लिया गया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 5 साल विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज 2019 चुनाव से पहले खराब सेहत का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और पिछले साल 6 अगस्त को उनका निधन हो गया था।
वर्ष 1998 में दो महीने के लिए दिल्ली की सीएम रहीं थी सुषमा स्वराज
वर्ष 1998 में दो महीने के लिए दिल्ली की सीएम रहीं मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के सबसे चर्चित मंत्रियों में से एक थी। पांच वर्षीय विदेश मंत्री के कार्यकाल में ट्वीटर के माध्यम से लोगों की सहायता करके के लोगों का दिल जीतने वाली सुषमा स्वराज का जन्म 14 फ़रवरी, 1952 में हरियाणा के अम्बाला कैंट में हुआ था। सुषमा के पिता एक आरएसएस के सदस्य थे और किशोरावस्था से ही सुषमा स्वराज राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न होना शुरू कर दिया था।
वाजपेयी सरकार 13 दिन में गिरी तो कहा, भारत में रामराज्य की नींव पड़ गई
बेहतरीन वक्ता सुषमा स्वराज अपने भाषणों में ऐतिहासिक प्रसंग, कविताओं और व्यंग्य का जबर्दस्त समावेश करती थीं कि पक्ष और विपक्ष दोनों उनका कायल हो जाता था। वर्ष 1996 में जब वाजपेयी सरकार सिर्फ 13 दिन बाद गिर गई तो सदन में सुषमा ने बेहद प्रभावशाली भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने रामायण और महाभारत के प्रसंगों को याद करते हुए कहा कि आज भारत में रामराज्य की नींव पड़ गई है।
मोदी के नेतृत्व में केंद्र में पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी
यह उनकी दूरदर्शिता ही थी कि वर्ष 2014 में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्र पहली पूर्ण बहुमत की सरकार की नींव पड़ी और ऐसी नींव पड़ी कि वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में उस नींव मजबूती में चार चांद लग गया। बीजेपी 2014 से अधिक सीटों से 2019 विजयी रही।
अयोध्या राम मंदिर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया
दिलचस्प यह रहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के तीसरे माह में ही अयोध्या राम मंदिर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर विवाद मामले के पक्षकार रामलला को विवादित भूमि सौंपने का फैसला सुनाया। यह सुषमा स्वराज की कथनी थी और वह मोदी सरकार के दूसरे के तीसरे महीने में साकार हो चुका था और अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव भी पड़ने जा रही है।
सुषमा स्वराज ने ट्रोलर्स द्वारा ट्वीट लाइक कर दिया करारा जवाब
अपनी हाजिरजवाबी के मशूहर रहीं सुषमा स्वराज का दिल सभी के लिए खुला हुआ था। विदेश मंत्री रहते हुए कई बार ऐसा हुआ जब ट्विटर पर उन्हें जमकर ट्रोलरों के गुस्से का सामना करना पड़ा बावजूद इसके उन्होंने सभी की मदद की। वर्ष 2018 में लखनऊ के एक दंपती के पासपोर्ट मामले में मदद करने पर ट्विटर पर कुछ लोगों ने उन्हें जमकर ट्रोल किया था। सुषमा ने उन ट्रोलर्स को करारा जवाब देते हुए उनके ही ट्वीट लाइक किए और कहा था कि अपशब्द कहने वालों के ट्वीट मैंने लाइक किए हैं। यह उनकी शख्सियत का एक और मुकाम था, जिससे ट्रोलर्स भी उनके मुरीद हो जाया करते थे।
अपनी सादगी और साफगोई के लिए बहुत मशूहर थी सुषमा स्वराज
वर्ष 2019 में जब उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देकर चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, तो उसके बाद कयास लगाए गए कि मोदी सरकार से नाखुशी के चलते उन्होंने सक्रिय राजनीति से अलग हो रहीं है, लेकिन उन्होंने बहस में पड़ने के बजाय मूक रहीं हैं। आम तौर पर सरकारी अधिकारियों को सरकारी बंगला खाली कराने में नेताओं को काफी वक्त लगता है, लेकिन ने तय समय से पहले ही अपना सरकारी आवास खाली करके साफगोई को नया मुकाम दिया। उन्होने सरकारी आवास खाली करने के बाद उसकी सूचना भी बाकायदा ट्विटर पर दिया।
आज भाजपा जिस मुकाम पर है, उसकी अग्रणी सूची में सुषमा का नाम है
कहा जाता है कि आज भाजपा जिस मुकाम पर है, उसे इस मुकाम पर पहुंचाने में जिन लोगों का योगदान है, उनमें सुषमाजी अग्रणी हैं। सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति की सतरंगी रेखाओं की ऐसी सादी तस्वीर थी, जिन्हें हम भारतीयता एवं भारतीय राजनीति का ज्ञानकोष कह सकते हैं, क्योंकि वो गहन मानवीय चेतना की चितेरी जुझारु, नीडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थी।
1973 में सुप्रीम कोर्ट से सुषमा स्वराज ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की
कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1973 में सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। जुलाई 1975 में उनका विवाह सुप्रीम कोर्ट के ही सहकर्मी स्वराज कौशल से हुआ। आपातकाल के दौरान सुषमाजी ने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल के बाद वह जनता पार्टी की सदस्य बन गयीं। इसके बाद 1977 में पहली बार सुषमाजी ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और महज 25 वर्ष की आयु में चौधरी देवीलाल सरकार में राज्य की श्रम मंत्री बन कर सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने की उपलब्धि हासिल की।
80 के दशक में सुषमा स्वराज आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हुईं
80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी के गठन पर सुषमाजी भाजपा में शामिल हो गयीं। वह अंबाला से दोबारा विधायक चुनी गयीं और बीजेपी-लोकदल सरकार में शिक्षा मंत्री बनाई गयीं। वो दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। हालांकि दिसंबर 1998 में उन्होंने राज्य विधानसभा सीट से इस्तीफा देते हुए राष्ट्रीय राजनीति में वापसी की और 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरीं लेकिन वे हार गयीं।
2009 में सुषमा स्वराज आडवाणी की जगह भाजपा नेता प्रतिपक्ष बनाई गईं
2009 में जब सुषमा स्वराज मध्य प्रदेश के विदिशा से लोकसभा पहुंची तो अपने राजनीतिक गुरु लालकृष्ण आडवाणी की जगह 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाई गयीं। 2014 तक वे इसी पद पर आसीन रहीं। 2014 में वे दोबारा विदिशा से जीतीं और मोदी मंत्रिमंडल में भारत की पहली पूर्णकालिक विदेश मंत्री बनाई गयीं।
संसद की ऐसी अकेली महिला नेता हैं जिन्हें असाधारण सांसद चुना गया
भारतीय संसद की ऐसी अकेली महिला नेता हैं जिन्हें असाधारण सांसद चुना गया। वह किसी भी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता भी थीं। सात बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुकी सुषमा स्वराज दिल्ली की पांचवीं मुख्यमंत्री, 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और विदेश मंत्री रह चुकी हैं।
खूब चर्चा में रहा 29 सितंबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र में दिया गया भाषण
29 सितंबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र में दिया सुषमा स्वराज का भाषण खूब चर्चा में रहा। इसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को परिवार के सिद्धांत पर चलाने की वकालत की। सुषमा स्वराज ने वर्ष 2015 में भी बेहद प्रभावी था जब संयुक्त राष्ट्र की महासभा में उन्होंने हिन्दी में भाषण दिया था। उस दौरान सुषमा स्वराज जम कर पाकिस्तान पर गरजीं थीं। तब उन्होंने पाकिस्तान को ‘आतंकवाद की फैक्ट्री' कहकर संबोधित किया था।