बिहार के लड़के ने मलयालम मीडियम की बोर्ड परीक्षा में किया टॉप, पिता ने नहीं देखा स्कूल की चौखट
नई दिल्ली। बिहार के लड़के ने मलयालम मीडियम के कक्षा 10वीं की परीक्षा में टॉप करते हुए सभी विषयों में ए प्लस हासिल किया है। मतलब 80 प्रतिशत से अधिक नंबर हासिल किया है जो कि अपने आप में बड़ी बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार से कुछ साल पहले ही मुहम्मद दिलशाद केरल पहुंचा। जहां उसने मलयालम मीडियम में एडमिशन लिया। हिंदी भाषी क्षेत्र के रहने वाला मुहम्मद दिलशाद के लिए मलयालम को समझना और पढ़ना आसान नहीं रहा होगा। फिर भी उसने कड़ी मेहनत की और राज्यभर में नाम रौशन किया है। मुहम्मद दिलशाद की पढ़ाई के बारे में तो जान लिए लेकिन अब पिता के बारे में भा जान लीजिए।
पिता ने नहीं देखा स्कूल का चौखट, बेटे ने किया टॉप
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मु्ताबिक मुहम्मद दिलशाद के पिता का नाम है भुट्टो साजिद जिन्होंने कोई पढ़ाई नहीं की ना ही कोई डिग्री है उनके पास। बिहार के दरभंग जिले में एक गरीब किसान परिवार में जन्मे साजिद के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि वो स्कूल के चौखट तक नहीं पहुंच पाए। बड़ा होने के बाद गांव में और फिर दिल्ली में नौकरी तलाशी लेकिन सफल नहीं हुए। इसके बाद 1999 में हजारों मील की पैदल यात्रा करके केरल पहुंच गए। जहां किसी भी तरह से उनको छोटी सी नौकरी मिली। पिछले दो दशक से साजिद केरल में ही रह रहे हैं और कर्नाकुल जिले के इंडस्ट्रियल इलाके में जूते की फैक्टी में काम करते हैं और अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ रहते हैं।
परिणाम आने के बाद घर पर लगा बधाई देने वालों का तांता
लेकिन साजिद के जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी रविवार को मिली। जब रविवार को उनके सबसे बड़े बच्चे मुहम्मद दिलशाद ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में मलयालम मीडियम के सरकारी स्कूल से टॉप करके पिता के साथ पूरे परिवार को गौरवान्वित किया है। दिलशाद ने सभी विषयों में ए + ग्रेड हासिल किया। बेटे के परिणाम पर पिता ने इंडियन एक्सप्रेस स बात करते हुए बताया कि हम गरीब थे, नहीं पढ़ पाए, लेकिन मेरा बेटा मेरा सर ऊंचा कर दिया। जब से परिणाम आए हैं साजिद और उनकी पत्नी आबिदा को बच्चे के स्कूल बिनानीपुरम गवर्नमेंट हाई स्कूल के शिक्षकों और सरकारी क्वार्टर और मीडिया बधाई देने वालों का तांता लग गया।
पिता को है अस्थमा की शिकायत फिर बेटे के लिए नहीं छोड़ी नौकरी
स्कूल में गणित पढ़ाने वाली अध्यापिका सुधी टीएस जिन्होंने दिलशाद की पढ़ाई में विषेश रूचि दिखाई, उन्होंने कहा कि वह अपने छात्र के प्रदर्शन से बहुत ज्यादा खुश हैं। सुधी ने कहा कि मैं अपने बेटे से अक्सर कहती थी कि दिलशाद उससे बेहतर स्कोर करेगा। सुधी ने कहा कि मैं ऐसा इसलिए कहती थी ताकि वो पढ़ाई को लेकर सीरियस और गंभीर हो। दिलशाद के पिता ने कहा कि मुझे दो साल पहले एक अन्य स्कूल में एडमिशन का अवसर मिला क्योंकि मुझे अस्थमा की शिकायत थी और वो एडस्ट्रियल एरिया था। पिता ने कहा कि मैं उसे परीक्षाओं में अच्छा करते देखना चाहता था क्योंकि उसके आगे का भविष्य उज्जवल हो और मैं उसी जगह रूकने का फैसला किया।
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