सुब्रमण्यम स्वामीः जिनके विवादास्पद बयान अक्सर सोशल मीडिया पर चुटकुले बन जाते हैं!
बेंगलुरू। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रैंड नेताओं में शुमार सुब्रमण्यम स्वामी कुछ कहें और हंगामा न हो, ऐसा कम ही होता है। राज्यसभा में बीजेपी सांसद स्वामी को जानने और समझने वाले जाते हैं कि उनके बयानों में उनके अपने तर्क होते हैं और जब कभी ऐसा मौका आया और जब उनसे उनके बयानों के लिए सफाई मांगी गई तो हाजिरजवाब स्वामी प्रायः तार्किकता के साथ उसका जवाब देते हैं।
अक्सर बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले सुब्रमण्यम स्वामी के विवादित बयानों के कलेवर में प्रायः हास्य, वीर और अद्भुत रस का समागम होता है, जो कभी चुटीले होते हैं और कभी-कभी चुटकले साबित होते हैं। ऐसा कभी कोई वाक्या नोटिस नहीं किया गया जब स्वामी कभी अपनी कहीं बातों से पीछे हटे हों, क्योंकि अपने प्रत्येक बयानों की गहराई से सामने वाले को नतमस्तक करने की कला उन्हें बखूबी आती है।
अभी हाल में उन्होंने भारत की गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए एक चुटीला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को भारतीय करेंसी के ऊपर हिंदुओं की आराध्य धन की देवी मां लक्ष्मी की तस्वीर छापनी चाहिए। देखते ही देखते उनका यह बयान सुर्खियों में आ गया और सोशल मीडिया में मीम्स बनने लगे। अपने बयान का बचाव करते हुए बाकायदा तर्क देते हुए कहा था कि इंडोनेशिया की करेंसी में भगवान गणेश की तस्वीर है तो भारतीय करेंसी में मां लक्ष्मी की तस्वीर छापने से क्या ऐतराज हो सकता है।
कहा जाता है कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी अपनी ही सरकार के सबसे बड़े आलोचक हैं और कभी-कभी अपने बयानों से अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर देते हैं। अभी हाल में चेन्नई में एक कार्यक्रम में सुब्रमण्यम स्वामी ने गिरती अर्थव्यवस्था के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की जमकर आलोचना की।
स्वामी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें वित्त मंत्री बनाना चाहिए, क्योंकि पीएम खुद अर्थशास्त्र को नहीं समझते हैं। स्वामी ने आगे कहा कि भाजपा के पास उनके जैसा अच्छा वित्त मंत्री है और पीएम मोदी को उन्हें यह जिम्मेदारी सौंप कर एक प्रयोग करना चाहिए।
उल्लेखनीय है वर्ष 1990 और 1991 के दौरान योजना आयोग के सदस्य रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार में वाणिज्य मंत्री रहे थे। इस अवधि के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान भारत में आर्थिक सुधारों के लिए खाका बनाया, जो बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव के नेतृत्व में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 1991 लागू किया गया।
यही नहीं, वर्ष 1990-91 के दौरान जब देश बुरी हालत से गुजर रहा था और देश का रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए सोना तक गिरवीं रखना पड़ा था तब सुब्रमण्यम स्वामी ने देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंस-परमिट और इंस्पेक्टर राज से बाहर निकालने के लिए एक ब्लू प्रिंट बनाया था, जिसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी भारत में निवेश की इजाजत से जुड़ी बातें थीं।
स्वामी के व्यक्तित्व में कैसे-कैसे मोड़ हैं, इसका पता इसी से चलता है कि आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के बड़े विरोधी रहे स्वामी उनके बेटे राजीव गाँधी के सबसे क़रीबी मित्र थे, जिनके साथ राजीव गांधी घंटों वक्त बिताते थे। राजीव गांधी भले ही स्वामी की मित्र सूची में शामिल थे।
लेकिन स्वामी ने उनकी ही पत्नी सोनिया गांधी और बेटे राहुल गांधी को नेशनल हेरल्ड केस में जेल पहुंचाने के लिए आज भी कोर्ट में खूंटा गाड़ रखा है। पीएम मोदी आज जिस ताकत से अपनी चुनावी रैलियों में नामदारों के जमानत पर होने का दम भरते हैं, उसके पीछे सुब्रमण्यम स्वामी का दिमाग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी नेताओं में शुमार रहे दिवंगत अरूण जेटली को उनके वित्तमंत्र रहते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने पानी पी-पीकर खूब कोसा करते थे, लेकिन समय गवाह है कि पीएम मोदी ने बावजूद इसके स्वामी के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि कहा जाता है कि स्वामी खुद पीएम मोदी के चहेतों में शुमार हैं।
स्वामी भले ही मोदी के चहेते हों, लेकिन मोदी के राजनीतिक गुरू यानी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को सुब्रमण्यम स्वामी को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। स्वामी ही वो शख्स थे, जिन्होंने वर्ष 1999 में जयललिता से मिलकर वाजपेयी की सरकार को एक वोट से गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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लोग डरते हैं कि कहीं मैं प्रधानमंत्री का पद न मांग लूं
गिरती अर्थशास्त्र पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की आलोचना करते हुए स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अर्थशास्त्र की समझ नहीं है। भाजपा में वित्त मंत्री के रूप में अपनी दावेदारी को बेहतर बताते हुए स्वामी ने कहा कि चूंकि यह एक वृहद विषय है, जहां एक क्षेत्र का दूसरे क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए पीएम मोदी को उनकी दावेदारी को समझना चाहिए। इसी दौरान स्वामी ने कहा कि वह 1972 से मोदी को जानते हैं और दोनों एक दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, लेकिन उनकी समस्या यह है कि वह न केवल एक अर्थशास्त्री हैं, बल्कि एक राजनेता भी हैं और अगर उन्हें वित्त मंत्रालय मिलता है और अच्छा काम करते हैं, तो लोग डरते हैं कि मैं कहीं प्रधानमंत्री का पद न मांग कर बैठूं।
भारत में प्रजातंत्र मर चुका है
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी की गिरफ्तारी के लिए पूरे देश की पुलिस लगा दी थी, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी ने आपातकाल लोगों में हिम्मत जगाने के लिए अमेरिका से एक दिन के लिए भारत आए और देश भर की पुलिस को गच्चा देते हुए 10 अगस्त 1976 के दिन संसद में घुसे और 2 मिनट का भाषण देकर भूमिगत हो जाएंगे। स्वामी यह सिद्ध करना चाहते थे कि पूरा देश इंदिरा गांधी के नियंत्रण में नहीं है। यह कारनामा स्वामी ने तब किया था जब उनके नाम से वारंट भी जारी हो चुका था। संसद में गए स्वामी ने वहां मौजूद देश-विदेश के पत्रकारों के सामने कहा कि भारत में प्रजातंत्र मर चुका है और फिर नेपाल के रास्ते चुपके से फिर अमेरिका निकल गए। उस वक्त स्वामी हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे।
चिदंबरम की मदद कौन कर रहा है?
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को निशाने पर लेते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा दावा किया कि कार्ति और उनकी कंपनियों के नाम विदेशों में 21 बैंक खाते हैं जिनकी जानकारी छुपाई गई है। स्वामी की बंदूक भले ही कार्ति की ओर तनी दिख रही थी, लेकिन उनके निशाने पर कुछ और लग रहा था। जब उन्होंने कहा, "चिदंबरम की मदद कौन कर रहा है? वित्त मंत्रालय में चिदंबरम के दोस्त!" तो समझ में आ रहा था कि उनका इशारा किस तरफ है। स्वामी के आरोपों के फौरन बाद ही कार्ति की सफाई भी आ गई कि उन्होंने सभी कानूनी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है और कोई भी जानकारी छुपाई नहीं गई है।
मुझे लगता है कि यूपी में मायावती चुनाव जीतने में कामयाब रहेंगी
पिछले दिनों स्वामी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मायावती की जीत के कयास लगाकर कई भाजपा समर्थकों को चौंका दिया था। 15 फरवरी की शाम स्वामी ने टि्वटर पर लिखा, "मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश में मायावती ठीक वैसे ही जीतने में कामयाब रहेंगी, जैसे अमरीका में डोनल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की थी। दरअसल, बात 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की हो रही थी, जिसमें बीजेपी ने प्रंचड बहुमत से जीत दर्ज की थी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी थी।
जेएनयू को दो वर्ष के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए
हाल में जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर बीजेपी के राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने विश्वविद्यालय के अंदर पुलिस स्टेशन बनाने और बीएसएफ तथा सीआरपीएफ तैनात करने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने जेएनयू को दो साल बंद करके जरूरी 'सफाई अभियान' चलाने की बात की है। इतना ही नहीं, स्वामी ने जेएनयू का नाम सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय करने की भी मांग की। स्वामी ने यह बयान अहमदाबाद के इंडस यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान कही थी।
जीएसटी को लागू करना सरकार का पागलपन था
सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए जीएसटी की आलोचना करते हुए कहा कि जीएसटी को लागू करना सरकार का पागलपन था, इसे खत्म कर देना चाहिए। स्वामी ने कहा कि देश में आर्थिक स्लोडाउन चल रहा है, जिससे उबरने के लिए सरकार को मजबूत आर्थिक फैसले लेने होंगे। बैंकों में फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दर बढ़ानी होगी। पूर्ति की जगह मांग को बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे। यह बयान उन्होंने शिमला में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया।
गांधी जी की हत्या के बाद किसी ने FIR दर्ज कराई थी?
सुब्रमण्यन स्वामी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को लेकर कहा कि गांधी की हत्या के बाद किसी व्यक्ति द्वारा एफआईआर नहीं दर्ज कराई थी, जबकि उस वक़्त पुलिस भी मौके पर मौजूद थी। इसके बावजूद पुलिस ने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करवाई? गांधी की उस वक़्त मौत नहीं हुई थी। गांधी जी को हॉस्पिटल में ना ले जाकर तुगलक रोड में ले जाया गया, जहां 40 मिनट बाद उनकी मौत हुई थी। बुलेट भी गोडसे की रिवॉल्वर से मैच नहीं हुई थी। स्वामी ने बताया कि गोडसे के अनुसार उसने दो गोली चलाई, जबकि वहां पर मौजूद पत्रकारों के मुताबिक 4 गोलियां चलीं। गांधी जी का पोस्टमार्टम क्यों नहीं करवाया गया? गोडसे और महात्मा गांधी की हत्या के मसले पर 16 पॉइंट हैं। गोड़से गोली चलाने के बाद मुंबई चला गया और वह हवाई जहाज फिर दिल्ली से आया था। इतनी मंहगी टिकट किसने दी? गोडसे ने गोली चलाई यह बात सही है, लेकिन उसकी ही गोली से गांधी जी की हत्या हुई, ये अब भी जांच का विषय है।
आयकर हटा देना चाहिए
देश के मौजूदा स्थिति को देखते हुए पूर्व वाणिज्य मंत्री और अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम स्वामी ने देश में लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश के लिए वांछित नहीं बताते हुए कहा कि बचत बढ़ाने के लिए आयकर हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘नेहरू के समय हम सोचते थे कि हम 3.5 प्रतिशत से अधिक वृद्धि नहीं कर सकते, लेकिन आज हम सोचते हैं कि देश 10 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ सकता है। हमारे पास योग्यता, क्षमता और संसाधन है।
राहुल गांधी एक ब्रिटिश नागरिक हैं
गांधी परिवार के मुखर आलोचक डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह आरोप सबसे पहले वर्ष 2015 में लगाया था, और उसके बाद वह इसे अक्सर दोहराते रहे हैं। हालांकि वर्ष 2016 में राहुल गांधी ने BJP नेता पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया था, और दस्तावेज़ी सबूत लाकर आरोपों को साबित करने की चुनौती दी थी। दरअसल, 7 फरवरी, 2009 को दी गई कंपनी की डिसॉल्यूशन अर्ज़ी में भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटिश बताई गई थी। शिकायत में यह भी जानकारी दी गई है कि 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को दाखिल की गई कंपनी की वार्षिक रिटर्न में राहुल गांधी की जन्मतिथि 19 जून, 1970 बताई गई है, जिसमें नागरिकता ब्रिटिश बताई है।
मैं चौकीदार नहीं हो सकता क्योंकि मैं ब्राह्मण हूं
रॉफेल डील में कथित घोटाले को लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है नारा लगाया था, जिसके विरोध में 17 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े भाजपा नेताओं ने ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार' शब्द जोड़ा था। पार्टी ने सोशल मीडिया पर मैं भी चौकीदार अभियान भी शुरू किया, जिसमें लोगों से इसमें शामिल होने का आग्रह किया गया। लेकिन एक तमिल समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में स्वामी से जब पूछा गया कि उन्होंने ट्विटर पर अपने नाम के आगे ‘चौकीदार' शब्द अभी तक क्यों नहीं जोड़ा है, तो उस पर उन्होंने कहा, 'मैं ब्राह्मण हूं, मैं चौकीदार नहीं बन सकता। मैं उन्हें सिखाऊंगा और उसके अनुसार, मैं चौकीदार के लिए काम करूंगा।'
राजीव की हत्या से सोनिया को फायदा हुआ
सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस अंतिरम अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि सोनिया गांधी ने राजीव गांधी की हत्यारी नलिनी की बेटी की इंग्लैंड में हुई शिक्षा का खर्च उठाया। यहां तक की नलिनी को इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी गई। मुझे समझ नहीं आता कि वो इतनी उदारता क्यों दिखा रहे हैं। लगता है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो है। राजीव गांधी की हत्या से सबसे ज्यादा फायदा सोनिया गांधी को हुआ था।
वीर विनायक दामोदर सावरकर बुद्धू था
सुब्रमण्यम स्वामी ने भारत में शुरू हुए 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर विनायक दामाोदर सावरकर को बुद्धू बताते हुए कहा था कि वो कभी सावरकर से जुड़े कार्यक्रमों में नहीं जाता, क्योंकि वे बुद्धू थे। बकौल स्वामी, सावरकर की नासमझी के कारण जवाहर लाल नेहरू को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जो एकदम एंटी हिंदू थे। जबकि कांग्रेस को वीर सावरकर को टू नेशन थ्योरी का जनक बताकर राजनीति कर रही है।
मैं मोदी के खिलाफ नहीं बोलता
सुब्रमण्यम स्वामाी की गिनती प्रधानमंत्री मोदी के चहेतों में होती है। एक बारर स्वामी ने कहा कि वो मोदी के ख़िलाफ़ कभी नहीं बोलते हैं, क्योंकि वो उनके दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि वो जो कहते हैं, उसे पार्टी चार-पांच महीने बाद लागू करती है। बकौल स्वामी, मैं पार्टी के हित में बोलता हूं। गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर बोलते हुए स्वामी ने कहा कि गुजरात में बहुमत आया है, मैंने 105 सीट कहा था, लेकिन 99 सीटें मिलीं, जिसने 150 कहा था उससे पूछो कि क्यों नहीं आईं, अगर उससे पूछोगे तो कह देगा कि जुमला है।
प्रियंका गांधी कब अपना संतुलन खो देंगी, किसी को पता नहीं'
सुब्रमण्यम स्वामी ने दिए एक विवादित बयान में कहा कि प्रियंका गांधी को एक बीमारी है जो सार्वजनिक जीवन में अनुकुल और उपयुक्त नहीं है, उसे 'बायपोलैरिटी' कहते हैं यानी उसकी हिंसावादी चरित्र दिखाई पड़ती है, लोगों को पीटती है। उन्होंने कहा कि पब्लिक को पता होना चाहिए कि कब अपना संतुलन खो देंगी, किसी को पता नहीं।