हिमाचल के मंदिरों की आमदनी पर हाईकोर्ट की नजर, सरकार से 5 वर्षों के चढ़ावे की मांगी रिपोर्ट
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के सभी मंदिरों (प्रथम अनुसूची में आने वाले मंदिरों) में चढ़ावे के तौर पर एकत्र होने वाली राशि पर बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने मंदिरों में चढ़ने वाले चढ़ावों की रिपोर्ट सरकार से मांगी है। हाईकोर्ट ने सभी जिला उपायुक्तों से मंदिरों में चढ़ावे से होने वाली आमदनी की रिपोर्ट तलब की है। अब सभी जिला उपायुक्तों को बीते पांच सालों में मंदिरों को हुई आय का ब्यौरा हाईकोर्ट में जमा करना होगा। आपको बता दें कि कोर्ट में ये याचिका कश्मीर चंद शड्याल नाम के शख्स ने दाखिल की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिया है।
कोर्ट ने पूछा है कि क्या मंदिरों की आय उपरोक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्शाए गए जनहित कार्यों पर ही खर्च की जा रही है या नहीं। यदि खर्ची जा रही है तो कितनी। कोर्ट ने आयुक्तों से यह भी पूछा है कि क्या मंदिरों की आय कानून के प्रावधानों के विपरीत भी खर्च की जा रही है। कोर्ट ने मंदिरों में नियुक्त पुजारियों सहित अन्य कर्मियों की पूरी जानकारी भी मांगी है। क्या मंदिरों के ट्रस्टी कानून के अनुसार नियुक्त हैं। क्या मंदिरों की आय का ऑडिट किया जाता है। मंदिरों की भूमि को अवैध कब्जों से छुड़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी मांगी गई है।
12 मंदिरों को 10 साल में तकरीबन 4 अरब की आय
हाईकोर्ट ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि प्रदेश के 12 मंदिरों में बीते 10 साल में 3 अरब 61 करोड़ 43 लाख 94 हजार 341 रुपये का चढ़ावा चढ़ा है। कोर्ट ने धार्मिक संस्थाओं के रख-रखाव, प्रतिमाओं और अन्य कल्याणकारी गतिविधियों के लिए उपयोग किए गए धन पर चिंता जताई। हाईकोर्ट के कार्यवाहक सीजे संजय करोल और जस्टिस अजय मोहन गोयल की अदालत ने याचिका पर सुनवाई की।