मणिपुर यूनिवर्सिटी में छात्र-शिक्षकों की धरपकड़, क्या है मामला?
छात्रों और प्रशासन के बीच एक वक़्त गतिरोध इतना बढ़ गया कि राज्य सरकार को भी मंत्रालय को चिट्ठी लिखनी पड़ी. इस पत्र में सरकार ने वीसी को अवकाश पर भेजने और छात्रों की ओर से लगाए गए आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराने की सलाह दी थी.
प्रोफ़ेसर पांडेय ने अक्टूबर 2016 में मणिपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यभार संभाला था. इससे पूर्व वो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रह चुके हैं.
बीती रात इंफ़ाल स्थित मणिपुर यूनिवर्सिटी में पुलिस ने एक अभियान चलाया और पुलिस का कमांडो दस्ता बड़ी संख्या में छात्रों और शिक्षकों को अपने साथ ले गया.
हालांकि, पुलिस ने अभी आधिकारिक तौर पर ये जानकारी नहीं दी है कि पकड़े गए छात्रों और शिक्षकों को गिरफ़्तार किया गया है या नहीं. पुलिस ने ये जानकारी भी नहीं दी है कि उन्हें कहां रखा गया है.
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बीती रात चलाए गए अभियान के दौरान भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े.
यूनिवर्सिटी में अब भी पुलिस तैनात है और किसी को भी परिसर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है. हालांकि, पुलिस अधिकारी मीडिया के किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं.
वहीं, यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य प्रोफेसर अमर युमनाम ने दावा किया कि 90 छात्रों को उनके हॉस्टल से पकड़ा गया है. पांच शिक्षकों को भी पुलिस साथ ले गई है और पुलिस की कार्रवाई के बाद से बहुत से शिक्षक छिपे हुए हैं.
इम्फ़ाल में मोहर्रम और दूसरे विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए इंटरनेट सेवा पर भी रोक लगी हुई है.
क्या है पूरा मामला?
मणिपुर यूनिवर्सिटी में लगभग तीन महीने से छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव बना हुआ है.
मणिपुर यूनिवर्सिटी के वीसी आद्या प्रसाद पांडेय के खिलाफ़ विश्वविद्यालय के छात्र कई दिन से प्रदर्शन कर रहे थे. वो कुलपति को हटाने की मांग कर रहे थे. बाद में इस मांग को शिक्षकों ने भी समर्थन दे दिया.
इसे लेकर मानव संसाधन मंत्रालय ने 17 जून को एक जांच समिति बनाई और जांच पूरी होने तक के लिए पांडेय को निलंबित कर दिया गया.
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क्या हैं आरोप ?
मणिपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों और यहां के शिक्षकों का आरोप है कि पांडेय ने अपने पद का ग़लत इस्तेमाल करते हुए कई वित्तीय धांधलियां की हैं. साथ ही प्रशासन को भी नुकसान पहुंचाया है.
छात्रों का दावा है कि पांडेय ने अपने पद का फ़ायदा उठाने में तो कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने में वो हमेशा पीछे रहे. छात्रों की शिकायत है कि ज़्यादातर वक़्त पांडेय बाहर ही रहे और उनकी इस लापरवाही का ख़ामियाज़ा विश्वविद्यालय को उठाना पड़ा.
छात्रों और प्रशासन के बीच एक वक़्त गतिरोध इतना बढ़ गया कि राज्य सरकार को भी मंत्रालय को चिट्ठी लिखनी पड़ी. इस पत्र में सरकार ने वीसी को अवकाश पर भेजने और छात्रों की ओर से लगाए गए आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराने की सलाह दी थी.
प्रोफ़ेसर पांडेय ने अक्टूबर 2016 में मणिपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यभार संभाला था. इससे पूर्व वो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रह चुके हैं.
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