कलकत्ता विश्वविद्यालय के बाहर 5 दिनों से जारी बच्चों का विरोध प्रदर्शन, फेल हुए हैं 50 प्रतिशत से ज्यादा छात्र
कलकत्ता विश्वविद्यालय के बाहर परीक्षा में फेल हुए छात्रों का आंदोलन जारी है। इस साल कलकत्ता विश्वविद्यालय में बीए और बीएससी की परीक्षा में भारी संख्या में छात्र फेल हुए हैं। सिर्फ बीए की ही परीक्षा में 57 प्रतिशत छात्र फेल हैं। ये परिणाम पिछले पांच सालों में सबसे खराब बताया जा रहा है।
नई दिल्ली। कलकत्ता विश्वविद्यालय के बाहर परीक्षा में फेल हुए छात्रों का आंदोलन जारी है। इस साल कलकत्ता विश्वविद्यालय में बीए और बीएससी की परीक्षा में भारी संख्या में छात्र फेल हुए हैं। सिर्फ बीए की ही परीक्षा में 57 प्रतिशत छात्र फेल हैं। ये परिणाम पिछले पांच सालों में सबसे खराब बताया जा रहा है। रिजल्ट की घोषणा होने के बाद एक छात्रा की खुदखुशी ने इस आंदोलन को और बढ़ा दिया है।
कलकत्ता विश्वविद्यालय में बीए में इस बार 64,543 में से केवल 27,475 बच्चे पास हुए हैं। वहीं बीएसी पार्ट-I में बच्चों का पासिंग प्रतिशत 71% रहा। बीएसी में 15,125 में से 10,738 बच्चे पास हुए। पिछले साल की तुलना में रिजल्ट काफी बेकार रहा है। पिछले साल बीए में 69% और बीएससी में 75% बच्चे पास हुए थे। परीक्षा में फेल हुए बच्चों की मांग है कि उनकी आंसर शीट दोबारा से चेक की जाए।
छात्रों की इस मांग को राज्य सरकार मानने को तैयार नहीं है। पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इन मांगों को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि छात्रों का ये जानना जरूरी है कि परीक्षा में पास होना उनकी जिम्मेदारी है। चटर्जी ने कहा, 'इस साल छात्रों के खराब रिजल्ट के लिए मैं रोज विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहा हूं। परीक्षा में पास होना छात्रों की जिम्मेदारी है। पहले परीक्षा में फेल होना और फिर पासिंग अंकों के लिए आंदोलन करना एकदम अस्वीकार्य है।'
शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय में हो रहे आंदोलन के लिए फेल हुए छात्रों के अलावा कुछ बाहरी लोग भी अराजकता पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं।
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