नेपाल की सीमा पर बसे बिहार के आखिरी गांव भिखनाठोरी की कहानी
सीतामढ़ी के लालबंदी बोर्डर की घटना ने बिहार के उन गावों की तरफ लोगों का ध्यान खींचा है जो नेपाल की सीमा पर बसे हैं। कई जगह तनाव की स्थिति है। एक महीना पहले की बात है। पश्चिम चम्पराण के भिखानठोरी गांव में पानी के विवाद में भारत और नेपाल के लोग भिड़ गये। सीमा सशस्त्र बल ने स्थिति संभाल ली, वर्ना कोई बड़ी घटना हो सकती थी। भिखनाठोरी नेपाल की सीमा पर बसा पश्चिम चम्पारण का अंतिम गांव है। इस गांव की भौगोलिक स्थिति उसके लिए वरदान भी है और अभिशाप भी। नेपाल भले भारत को अपना मित्र न माने लेकिन भारत आज भी नेपाल से दोस्ती निभा रहा है। नेपाल एक लैंड लॉक्ड कंट्री (भूमिबंद देश) है। वह आयात के लिए भारत पर निर्भर है। नेपाल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारत के दो बंदरगाहों हल्दिया (पश्चिम बंगाल) और विशाखापट्ट्नम से होता है। नेपाल भारत से और दो बंदरगाह मांग रहा है जिस पर बातचीत चल रही है। नेपाल भले चीन के प्रभाव में है लेकिन वह भारत की मदद के बिना अपने देश में आश्यक सेवा बहाल नहीं रख सकता। इसके बावजूद नेपाल, भारत से दुश्मनों की तरह सलूक कर रहा है।
पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में काम कर रहे दो भारतीय अधिकारी लापता
भिखनाठोरी- नेपाल सीमा पर अंतिम गांव
पश्चिम चम्पारण के नरकटियागंज प्रखंड से 35 किलोमीटर दूर नेपाल की सीमा पर बसा है भिखनाठोरी। यह गांव प्रकृति की गोद में एक पिकनिक स्पॉट है। यहां पर्यटक भी आते हैं। फिल्मों की शूटिंग भी होती है। इतना कुछ होने के बाद भी इस गांव की रौनक पानी के बिना बेकार है। पहाड़ी इलाका है इसलिए भूजलस्तर बहुत नीचे है। सोलर एनर्जी से चलने वाली पानी टंकी बनी थी। कुछ साल पानी मिला। फिर वह फेल हो गयी। यहां कोई चापाकल या कुआं नहीं है। नरकटियागंज से टैंकर में पानी आता है तो लोगों की प्यास बुझती है। वर्ना वे नदी-नाले का ही पानी पीते हैं। भिकनाठोरी गांव के लोग नेपाल के पानी पर ही निर्भर हैं। नेपाल के पानी से ही उनके खेतों की सिंचाई होती है और प्यास भी बुझती है। इस गांव की सीमा पर नेपाल के क्षेत्र में एक पहाड़ है जिसे उजला पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। उजला पहाड़ी दो तरह से पानी का स्रोत है। पहला, इसके चट्टानों के अंदर से मीठे पानी का एक प्रवाह हमेशा जारी रहता है जो पेयजल से बहुत ही उत्तम है। पहाड़ पर बहुत से औषधीय पौधे हैं। इस लिए चट्टानों से निकलने वाला पानी अत्यंत मीठा और भूख को बढ़ाने वाला है। इस पानी को पीने से गरिष्ठ से गरिष्ठ भोजन भी पच जाता है। भिखनाठोरी के लोग यहां से घड़ों में पानी भर के घर ले जाते रहे हैं। उजला पहाड़ी से बरसाती नदी के तीन नाले निकले हैं। इनमें से दो नाले का पानी बह कर भारतीय क्षेत्र में आता है। इस पानी से ही इस गांव के लोग अपनी खेतों की सिंचाई करते रहे हैं।
नेपाल के पानी बंद करने पर बवाल
मई 2020 में नेपाल के लोगों ने भारतीय क्षेत्र में आने वाले पहाड़ी नाले के प्रवाह को बंद कर दिया। इससे वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में जीव-जंतुओं को पानी मिलना बंद हो गया। भिखनाठोरी गांव के खेतों को पानी मिलना बंद हो गया। अभी सब्जी और गरमी की खेती के लिए पानी चाहिए था। धान की खेती भी शुरू ही होने वाली है। पानी रुकने से गांव के लोग परेशान हो गये। इससे आसपास के गांव के किसान भी प्रभावित हो गये। नेपाली लोगों की इस हरकत से किसानों में गुस्सा था। 27 मई को भिखनाठोरी के नेपाल सीमा पर करीब छह गावों के सैकड़ों किसान जुड गये। वे पानी बंद होने के खिलाफ नारे लगाने लगे। वे जबरन नेपाल में घुस कर नाला खोलने की बात करने लगे। दूसरी तरफ नेपाल के लोग भी आ गये। लड़ने भिड़ने की नौबत आ गयी। इसके कुछ दिन पहले रोड़ेबाजी हो चुकी थी। ऐन वक्त पर सशस्त्र सीमा बल के अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया। किसानों को समझा बुझा कर शांत किया गया। पहले भारत और नेपाल की आपसी सहमति से उजला पहाड़ के तीन नालों में दो का 60 फीसदी पानी भारत में आता था। अब भिखनाठोरी गांव के लोगों की मांग है कि सरकार जल बंटवारे का स्थायी समाधान करे।
Recommended Video
सीमा विवाद को हवा
नेपाल इन दिनों चीन की शह पर भारत के साथ सीमा विवाद को हवा दे रहा है। केपी ओली की वामपंथी सरकार ने उत्तराखंड (पिथौरागढ़) के लिपुलेख और कालापानी को अपने नक्शे में दिखा कर भारत के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने हाल ही में कहा था "हम 1816 में ब्रिटिश इंडिया से लड़ाई हार कर अपनी एक तिहाई जमीन पहले गंवा चुके हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। भारत नेपाल सीमा के निर्धारण के लिए 1816 में सुगौली (पूर्वी चम्पारण का प्रखंड) की संधि हुई थी। भारत को इस संधि का सम्मान करना चाहिए।" लिपुलेख और काला पानी के मुद्दे पर नेपाल के रक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया था कि यदि जरूरत पड़ी तो हम युद्ध के लिए भी तैयार हैं। जाहिर अभी नेपाल में भारत विरोधी भावनाएं चरम पर हैं। लेकिन नेपाल भूल रहा कि भारत ही उसका स्वभाविक मित्र है, क्यों कि दोनों देशों की सभ्यता और संस्कृति एक है।
6 साल तक था अंकिता और सुशांत का रिश्ता, मौत की खबर सुनकर दिया ये रिएक्शन