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कहानी उस लड़के की जो बैले डांसर है

भारत में पले-बढ़े राहुल प्रदीप की आंखों में बचपन से डांसर बनने का सपना था. वो बैले डांसर बनना चाहते थे, लेकिन लोगों की सोच हमेशा उनके सपनों के आड़े आती रही. अब स्कॉटलैंड की पहाड़ियों से घिरा प्रतिष्ठित बैले स्कूल उनके सपनों को उड़ान दे रहा है.

राहुल की बैले डांसर बनने की चाहत उन्हें बेंगलुरु स्थित उनके घर से 5,000 मील दूर बैले वेस्ट ले आई. 

By BBC News हिन्दी
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कहानी उस लड़के की जो बैले डांसर है

भारत में पले-बढ़े राहुल प्रदीप की आंखों में बचपन से डांसर बनने का सपना था. वो बैले डांसर बनना चाहते थे, लेकिन लोगों की सोच हमेशा उनके सपनों के आड़े आती रही. अब स्कॉटलैंड की पहाड़ियों से घिरा प्रतिष्ठित बैले स्कूल उनके सपनों को उड़ान दे रहा है.

राहुल की बैले डांसर बनने की चाहत उन्हें बेंगलुरु स्थित उनके घर से 5,000 मील दूर बैले वेस्ट ले आई. राहुल यहां फुल टाइम ड्रिग्री कोर्स कर रहे हैं.

यहां राहुल अपने बचपन के सपने को जी रहे हैं. वो उस वक़्त को याद करते हैं जब वो सात साल के थे. तब उनकी एक रिश्तेदार की तस्वीर अपनी डांस टीचर के साथ एक स्थानीय अख़बार में छपी थी.

उस तस्वीर को देखकर राहुल की आंखों में अलग सी चमक आ गई थी, लेकिन वो चमक किस बात को लेकर थी, इस बारे में उन्होंने किसी को नहीं बताया.

वो कहते हैं, "अपनी रिश्तेदार को नाचते हुए देख मेरे पैर भी थिरकने लगते थे. मेरी मां जानती थीं कि मैं भी डांसर बनना चाहता हूं."

"लेकिन लड़कों का बैले डांस करना अच्छा नहीं माना जाता. इस तरह के डांस को लड़कियों से जोड़कर देखा जाता है. सबसे पहली बात तो बैले डांस भारत के लिए नया है और उस पर भी यहां लड़कों का ये डांस करना लोगों के लिए अजीब है."

"लोगों को ऐसी ग़लतफ़हमी है कि बैले डांस लड़कियों का डांस है- लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. जब महिला ये डांस करती है तो वो अपनी तरह से करती है और जब पुरुष ये डांस करते हैं तो उनका तरीक़ा अपनी तरह का होता है."

नकारात्मक स्टीरियोटाइप

फिल्म बिली एलियट के किरदार की तरह ही राहुल भी नकारत्मक स्टीरियोटाइप वाली सोच से लड़ते रहे हैं.

किशोरावस्था के सालों में उन्होंने डांसर बनने की अपनी चाहत को डबाकर रखा. 20 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार बैले डांस की क्लासेस लेना शुरू किया.

राहुल कहते हैं, "पहले दो सालों में मैंने अपने परिवार तक को नहीं बताया कि मैं बैले डांस सीख रहा हूं."

"मैंने उनसे कहा कि मैं जैज़ और थोड़ा बहुत जैज़ बैले सीख रहा हूं. लेकिन तभी मेरी एक पर्फार्मेंस होने वाली थी. तब मैंने अपने घर वालों को बताया कि मैं बैले डांस करता हूं और क्या आप मेरा परफॉर्मेंस देखने आ सकते हैं?"

लेकिन भारत में इस तरह के डांस को लेकर संभावनाएं बेहद कम हैं. यहां बैले डांस सिखाने वाली क्लासेस कम हैं. सिंगल मां के बेटे राहुल के सामने आर्थिक मुश्किलें भी थीं.

"सबकुछ इतना आसान नहीं था, लेकिन मेरी मां ने हमें कभी भूखे पेट सोने नहीं दिया."

"मैं एरोबिक्स और योग सिखाकर कुछ पैसे कमा लिया करता था, इन पैसों से मैं अपनी बैले क्लास की फीस भरा करता था. मैं रात के टाइम प्रैक्टिस किया करता था. मैं हफ्ते के सातों दिन डांस किया करता था."

एक दिन राहुल की ज़िंदगी में नया मोड़ आया. ब्रिटेन से आए उनके बैले टीचर ने उन्हें इंटरनेशनल डांस स्कूल में अप्लाई करने की सलाह दी. उनकी टीचर खुद स्कॉटलैंड के प्रतिष्ठित बैले वेस्ट स्कूल में ऑडिशन दे चुकी थीं.

"मुझे लगा कि मुझे इतने अच्छे स्कूल में एडमिशन नहीं मिलेगा. अगर आप यहां से ग्रेजुएट कुछ पुराने लोगों को देखें तो उनमें से कुछ पूरे यूरोप में डांस करते हैं."

लेकिन जब स्कूल के संस्थापक गिलियन बार्टन ने राहुल के डांस की कुछ वीडियो देखी तो उनके टैलेंट को पहचानने में देर नहीं की.

गिलियन ने कहा, "उनका डांस बेहतरीन था, वो शानदार हैं."

"उनको चुनने का मेरा फैसला कभी गलत साबित नहीं हुआ. वो बहुत ही अच्छे छात्र और हमारे स्कूल की धरोहर हैं. जो भी उनसे मिलता है उनका मुरीद हो जाता है."

अपनी एक पहचान बना लेने और हवाई सफर के पैसे जुटा लेने के बावजूद राहुल अब भी अपनी पढ़ाई की फीस के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

वो बताते हैं, "ये बहुत मुश्किल हैं क्योंकि अब भी भारत में बैले डांस को उतनी पहचान नहीं मिल पाई है. हमारे यहां नेशनल बैले नहीं है. सिर्फ मेरी पीढ़ी के लोग ही बैले को कुछ-कुछ पहचानने लगे हैं."

"इंजीनियर्स और मेडिकल की पढ़ाई करने वाले लोगों को पैसा मिल जाता है, लेकिन बैले सिखने वालों को ये सुविधा नहीं है. इसलिए मुझे एक स्पॉन्सर की ज़रूरत पड़ी."

बैले वेस्ट स्कूल ने उन्हें फर्स्ट ईयर के लिए स्कॉलरशीप देने की पेशकश की है. उनका ये कोर्स अक्टूबर से शुरू होने वाला है.

राहुल प्रदीप गिसेले प्रोडक्शन के साथ स्कॉटलैंड में कई बड़ी जगह परफॉर्मेंस दे चुके हैं.

"राहुल कहते हैं, मैं यहां छह महीने से हूं और इन छह महीनों में मैंने इतना सीखा जितना मैंने पांच सालों में सीखा होगा."

"जब मैंने इस खूबसूरत देश और अपने खूबसूरत कॉलेज को देखा तो मुझे भरोसा नहीं हुआ कि मैं यहां आ गया हूं. इस कॉलेज में मुझे दुनिया भर से आए शिक्षकों से सीखने का मौका मिलेगा."

राहुल डांस में करियर बनाने की मुश्किलों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. वो 26 साल के हो चुके हैं. बैले डिग्री कोर्स के लिए उनकी उम्र कुछ ज़्यादा हो गई है.

"मैंने बैले डांस की डिग्री लेने में देर कर दी है. अब मुझे इस कोर्स से जो भी मिलेगा उससे मुझे खुशी होगी. अब चाहे मैं टीचर बनूं या कोर्योग्राफर."

वो भारत लौटकर दूसरों को बैले सिखाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं.

"मुझे सिखाना पसंद है. मैं जब भारत में था तो योग और एरोबिक्स सिखाता था. मुझे दूसरों को डांस सिखाकर भी खुशी होगी. हो सकता है मेरे ऐसा करने से उस छोटे लड़के को अवसर मिले जो हमेशा से डांस सिखने चाहता है."

फिलहाल राहुल का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर है.

"सुबह उठकर मैं क्लास जाता हूं, क्लास के बाद में फिर घर आ जाता हूं."

"लेकिन अगर आप मेरा सोशल मीडिया अकाउंट देखेंगे कि मैं अपनी भावनाओं को खुलकर बयां करता हूं. मैं अपने सपने को जी रहा हूं."

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English summary
Story of a boy who is ballet dancer
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