दिल्ली में दंगे की दहशत के बीच इंसानियत की मिसाल पेश करती ये कुछ कहानियां
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में बीते दिनों काफी हिंसा देखने को मिली। मरने वालों की संख्या 34 हो गई है और 200 से अधिक लोग घायल हैं। दो समुदायों के बीच शुरू हुआ ये विवाद कब सांप्रदायिक बन गया, किसी को पता ही नहीं चला। इस दौरान तोड़फोड़ और आगजनी की बहुत सी घटनाएं सामने आईं। लोगों के वाहनों, दुकानों और घरों को दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया। लेकिन इस बीच एकता और भाईचारे की मिसाल कायम करती कुछ कहानियां भी सामने आई हैं। जिनमें दोनों समुदाय के लोगों ने एक दूसरे की मदद की।
1. सऊदी में रहने वाले दोस्त की पूरन चुघ ने की मदद
सऊदी अरब में नौकरी करने वाले हाजी नूर मोहम्मद का परिवार दिल्ली के यमुना विहार इलाके में रहता है। उनका परिवार दंगों के बीच फंस गया था। परिवार मदद के लिए उन्हें लगातार फोन कर रहा था, लेकिन हालात इतने खराब थे कि उनका कोई भी रिश्तेदार इलाके में जाकर परिवार को निकालने की स्थिति में नहीं था। फिर उन्होंने अपने दोस्त पूरन चुघ को फोन किया, जिनसे उन्होंने मकान खरीदा था। चुघ ने भी बिना वक्त गंवाए अपनी कार निकाली और नूर मोहम्मद के घर पहुंच गए। चुघ ने नूर के परिवार के साथ-साथ उनके यहां किराए पर रहने वाले एक परिवार को भी वहां से निकाला और उनके रिश्तेदारों के घर सुरक्षित पहुंचाया।
2. सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल हिंदू दोस्त की मदद की
इलाहाबाद के रहने वाले मोहम्मद अनस ने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपने करीबी दोस्त की मां की मदद की। मंगलवार सुबह मोहम्मद अनस नाम के फेसबुक यूजर ने पोस्ट लिखते हुए कहा, 'मेरे दोस्त का परिवार तीस साल से मुस्तफाबाद में रहता है और उनके घर पर हमला हुआ है। घर पर उनकी 60 साल की मां अकेली हैं। यहां का रहने वाला कोई अगर मेरी पोस्ट पढ़ रहा है तो मदद करें।' इस पोस्ट को लिखने के करीब दो घंटे बाद उन्होंने एक और पोस्ट के जरिए बताया कि अब उनके दोस्त की मां सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी फेसबुक पोस्ट के पंद्रह मिनट के अंदर मुस्तफाबाद के उस हिंदू ब्राह्मण परिवार के घर के बाहर दर्जनों मुसलमान पहुंचकर बवालियों के बीच से माता जी को सुरक्षित निकाल कर अपने घर में पनाह देते हैं।'
3. शाहिद के परिवार के लिए फरिश्ता बने भाजपा पार्षद
शाहिद सिद्दीकी के घर के बाहर 150 लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और वो लोग उनके घर में आग लगाने वाले थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घटना रात के करीब 11.30 बजे की है। शाहिद के अनुसार, भीड़ ने अचानक 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए उनके पड़ोस की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। भीड़ ने पहले उनके घर के नीचे एक बुटीक, कार और मोटरबाइक को जला दिया। जिससे कम से कम 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ। सूचना पाकर भाजपा पार्षद प्रमोद गुप्ता मौके पर पहुंचे और उन्होंने भीड़ से ऐसा न करने का आग्रह किया। शाहिद सिद्दीकी का परिवार प्रमोद गुप्ता के चलते बच गया। बता दें घर में दो महीने का शिशु भी मौजूद था।
4. मुस्लिम लड़की को भीड़ से बचाकर अपने घर पर पनाह दी
ऐसी ही एक और कहानी है पिंकी गुप्ता की। जिन्होंने मुसीबत में फंसी एक मुस्लिम लड़की की मदद कर उसे सुरक्षित घर पहुंचाया। पिंकी गुप्ता घोंडा इलाके में रहती हैं और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बताया कि करिश्मा नाम की एक लड़की थी, जो चांद बाग में रहती है और शास्त्री नगर में नौकरी करती है। वो अपने ऑफिस से उस वक्त वापस लौट रही थी। उसे नहीं पता था कि बाहर माहौल इतना खराब है। मेट्रो स्टेशन भी बंद थे तो वह सीलमरपुर मेट्रो स्टेशन पर उतर गई और हमारे मोहल्ले तक आ गई। लड़की को चारों ओर से कुछ लड़कों ने घेर लिया। तब फौरन हम लोग वहां पहुंचे और उसकी मदद की। पिंकी उसे अपने घर लेकर आ गईं और यहां उसे पानी पिलाया। उन्होंने उसे इस बात का यकीन दिलाया कि वो पूरी तरह सुरक्षित है। लड़की को उसके घर छोड़कर आना मुश्किल था क्योंकि वहां हालात सामान्य नहीं थे, तो उसे नूर ए इलाही में रहने वाले उसके मामा के घर सुरक्षित पहुंचाया गया।
5. मुस्लिम पड़ोसियों ने बाहरियों को रोका और हिंदू परिवारों की जान बचाई
दिल्ली के शिव विहार में स्थित इंदिरा विहार इलाके के मुस्लिम पड़ोसियों ने हिंदू परिवारों की मदद की। इस इलाके में 3200 घर हैं, जिनमें से करीब 8 घरों में हिंदू परिवार रहते हैं। इस दौरान इन परिवारों और मंदिर की सुरक्षा के लिए इलाके के सभी मुस्लिम लोग आगे आए। इंदिरा विहार में बुधवार को तीन मुस्लिम युवकों ने एक मंदिर की रक्षा की। यहां रहने वालों का कहना है, 'हम हमेशा एकसाथ शांति से रहते हैं। पूजा करने की एक जगह को नुकसान पहुंचाया गया है।' यहां मुस्लिम पड़ोसियों ने बाहरी लोगों को अपने इलाके में आने से रोका, जिससे उनके हिंदू पड़ोसियों की जान बच पाई।
6. जब मुसलमानों के घरों में आग लगी तो हिंदुओं ने दी पनाह
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के अशोक नगर इलाके में रहने वाले लोगों ने भी मिसाल पेश की। यहां दंगाइयों के हाथों में रोड थीं और उनके चेहरे ढंके हुए थे। ये लोग पहले इलाके की मस्जिद में घुसे और नारे लगाने लगे। इस इलाके में छह मुस्लिम परिवार रहते हैं, इन्हीं के घर पर दंगाइयों ने आग लगा दी। दंगाइयों ने दुकानों में भी लूटपाट और आगजनी की। यहां के लोगों का कहना है कि शायद दंगाइयों को ये बात पता थी कि इलाके में छह ही मुस्लिम परिवार रहते हैं, इसलिए उन्होंने किसी और घर को निशाना नहीं बनाया। जिन मुसलमानों के घर जलाए गए थे, उन्हें उनके हिंदू पड़ोसियों ने अपने घर पर पनाह दी। यहां रहने वाले मोहम्मद राशिद ने बताया कि वह यहां 25 साल से रह रहे हैं लेकिन कभी किसी हिंदू से छोटी सी भी लड़ाई नहीं हुई। सब एक परिवार की तरह ही रहते हैं।
7. लोगों को बचाने दिल्ली पहुंच गई गाजियाबाद पुलिस
करावल नगर के पास गाजियाबाद के लाल बाग इलाके के नजदीक पुलिस की बैरिकेडिंग लगी थी। इसी दौरान दोपहर में उपद्रवी नारेबाजी करते हुए लोगों के घर के दरवाजे पीट रहे थे। तभी यहां तैनात पुलिस ने देखा कि एक घर के भीतर परिवार खुद को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा था। घर करावल नगर में स्थित है। तभी अचानक कार, ई रिक्शा, बाइक और स्कूटी पर सवार कुछ युवक वहां पहुंच गए। जब घर के दरवाजे खटखटाने पर अंदर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई तो इन लोगों ने घर में लगी खिड़की के शीशे तोड़ने शुरू कर दिए। पुलिस के पास महज कुछ ही सेकेंड थे परिवार को बचाने के लिए। गाजियाबाद के एसपी (ग्रामीण) नीरज कुमार जादौन के पास बॉर्डर चेकप्वाइंट का चार्ज था। उन्होंने दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस के सीमा के बारे में सोचने की बजाए तुरंत कार्रवाई की। वह सीमा पारकर भीड़ की तरफ आगे बढ़े। करीब 30 अन्य पुलिसकर्मी इस दौरान उनके साथ थे। इन लोगों के पास एंटी रॉयट के साजो सामान भी थे। जैसे ही पुलिस ने यहां लाठीचार्ज किया, भीड़ तितर-बितर हो गई।
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