स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: दो देशों के प्रतिमाएं दुनिया को दे रही अलग-अलग संदेश
नई दिल्ली। न्यूयॉर्क शहर में स्थित 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' नाम का विशाल स्टैच्यू आज से 122 साल पहले फ्रांस ने अमेरिका को गिफ्ट के तौर पर दी थी। उसी के तर्ज आज भारत के गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल का स्टैच्यू खड़ा किया गया, जो स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दो गुना ज्यादा बड़ी है। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिका में आजादी और लोकतंत्र का प्रतीक है और भारत में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता का प्रतिक है। इस प्रतिमा का नाम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी इसलिए रखा गया है कि क्योंकि भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल ने आजादी के बाद देसी रियासतों और रजवाड़ों को एककर एक संपूर्ण भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस के दिग्गज नेता सरदार पटेल की बदौलत देश का एकीकरण संभव हो पाया था। एक नजर डालते हैं दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों की विशाल प्रतिमाओं पर, जिनके दोनों का अलग-अलग महत्व और संदेश हैं...
आजादी की प्रतिक स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित है, जिसे 18 अक्टूबर 1886 में फ्रांस के सिविल इंजीनियर गुस्टावे एफिल ने बनाकर खड़ा किया था। यह प्रतिमा आजादी और लोकतंत्र का संदेश देती है। इस स्टैच्यू को फ्रांस और अमेरिका के पैसों से बनाकर तैयार किया गया था। इस स्टैच्यू के कंस्ट्रक्शन के लिए जर्नलिस्ट जोसेफ पुलित्जर ने क्राउड-फंडिंग के जरिए 100,000 डॉलर से भी ज्यादा इकट्ठा किया था।
रोमन देवी लिबर्टस का प्रतिनिधित्व करती स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी पूरे कपड़ों में खड़ी एक महिला की प्रतिमा है, जो स्वतंत्रता की रोमन देवी लिबर्टस का प्रतिनिधित्व करती है। इस स्टैच्यू के दाएं हाथ में मशाल है और बाएं हाथ में 23 फीट 7 इंच लम्बा और 13 फीट 7 इंच चौड़ा नोटबुक या तख्ती है जिस पर JULY IV MDCCLXXVI लिखा हुआ है, जो 4 जुलाई 1776 को प्रदर्शित करता हैl इसी दिन अमेरिका के आजादी की घोषणा हुई थी। इस स्टैच्यू को फ्रांस में जुलाई 1884 में तैयार कर लिया गया था और फ्रांसीसी युद्धपोत 'आईसेर' द्वारा 17 जून 1885 को न्यूयॉर्क बंदरगाह पर लाया गया था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
कांग्रेस नेता और देश के पहले गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में देश स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के नाम से नर्मदा नदी के सरदार सरोवर बांध पर करीब 3000 करोड़ रुपये की लागत में एक भीमकाय प्रतिमा बनाकर तैयार की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अगस्त को इस स्टैच्यू का अनावरण किया। सरदार पटेल की प्रतिमा बनाने की घोषणा गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने 2010 में ही कर दी थी। 2014 में देश में मोदी की सरकार बनने के बाद से ही इस प्रतिमा को खड़ी करने का काम शुरू कर दिया गया। लोहे से बनी लौह पुरुष सरदार पटेल की इस प्रतिमा को बनाने में मात्र 33 महीने लगे।
एकता का प्रतिक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
अंग्रेजों के देश छोड़ने के बाद हिंदुस्तान कई हिस्सों में बंटा हुआ था। आजादी के बाद देश में 565 रियासतें थीं। ब्रिटिश शासन ने इनके सामने विकल्प रखा कि वो भारत या पाकिस्तान में से किसी एक को चुन लें। समस्या ये थी कि कुछ रियासतें स्वतंत्र रहना चाहतीं थीं जबकि कुछ ऐसी थीं जो पाकिस्तान से काफी दूर होने के बावजूद उसका हिस्सा बनना चाहती थीं। सरदार पटेल ने इस समस्या को सुलझाया था। वे सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने देश की सारी रियासतों को एक कर देश को 'अखंड भारत' की सोच में बांधा।
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