समलैंगिंक होना एक मनोवृत्ति है, जो बाद में बदल सकती है- श्रीश्री
नई दिल्ली। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने सोमवार को जेएनयू में बोलते हुए कहा कि होमोसेक्सुएल एक मनोवृत्ति है जोकि बाद में बदल सकती है। जेएनयू में एक छात्र के सवाल के जवाब में श्री श्री ने यह जवाब दिया था। छात्र ने पूछा था कि क्या लिंग के आधार पर उसके साथ उसके परिवार या दोस्तों को गलत व्यवहार करना चाहिए। श्री श्री ने कहा कि आप अपना खयाल रखे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग आपसे कैसा व्यवहार करें। आप यह कतई नहीं सोचें कि आप बीमार हैं या फिर गलत हैं, अगर अपने लिए खड़े होते हैं तो कोई भी आपका अपमान नहीं कर सकता है, लेकिन अगर आप अपने आप को कमजोर और लाचार समझेंगे, अपने बारे में गलत सोचेंगे, तो कोई भी आपको बेहतर महसूस नहीं करा सकता है।
श्रीश्री ने कहा कि यह आपकी मनोवृत्ति है, इसे समझे और स्वीकार करें, आपको यह समझना होगा कि यह मनोवृत्ति हमेशा नहीं रहेगी, यह बदल सकती है। मैंने कई लोगों को देखा है जोकि गे थे, बाद में वह सामान्य हो गए। जेएनयू में 13वें नेहरू मेमोरियल लेक्चर कार्यक्रम में बोलते हुए श्री श्री ने कई छात्रों के सवाल के जवाब दिए। एक और छात्र ने उनसे पूछा कि ऐसा क्या किया जाए कि कुछ छात्रों को राष्ट्रविरोधी टैग दे दिया गया है उसे हटा दिया जाए। जिसके जवाब में श्री श्री ने कहा कि विद्रोही होना युवाओं का स्वभाव होता है, कुछ युवा विद्रोही स्वभाव के होते हैं, लेकिन वह विद्रोही हैं सिर्फ इसलिए उन्हें देशद्रोही करार दिया जाना गलत हैं, उन्हें इस रूप में प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए, कोई भी अपने देश के खिलाफ नहीं हो सकता है, अगर ऐसा है तो उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है।
इससे पहले श्री श्री ने राम मंदिर मुद्दे पर तमाम पक्षकारों से मुलाकात करके इस मुद्दे का हल निकालने की बात की थी। उन्होंने कहा था कि वह 16 नवंबर को अयोध्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आग्रह पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका कोई एजेंडा नहीं है, बल्कि उन्हें उम्मीद है कि इस विवाद पर कुछ हल निकल सकता है और उसी की मैं कोशिश कर रहा हूं।
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