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मोदी सरकार से बाहर हुए अकाली दल में छिड़ी बगावत, दो दिग्गज नेताओं ने बनाई नई पार्टी

कृषि विधेयकों के विरोध में एनडीए सरकार से अलग हुई शिरोमणि अकाली दल के सामने अब पार्टी के बागी नेताओं ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है।

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नई दिल्ली। कृषि विधेयकों के विरोध में एनडीए सरकार से अलग हुई शिरोमणि अकाली दल के सामने अब पार्टी के बागी नेताओं ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। अकाली दल के दो दिग्गज नेताओं- सुखदेव सिंह ढींडसा और उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 'शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक' नाम से नई पार्टी का गठन कर लिया है। सुखदेव सिंह ढींडसा राज्यसभा में शिरोमणि अकाली दल के नेता भी रह चुके हैं। दोनों बागी नेताओं ने अपनी पार्टी 'शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक' को चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड कराने के लिए आवेदन किया है।

'अपनी मूल विचारधारा से भटक चुका है अकाली दल'

'अपनी मूल विचारधारा से भटक चुका है अकाली दल'

आपको बता दें कि सुखदेव सिंह ढींडसा ने अक्टूबर 2019 और उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा ने जनवरी 2020 में शिरोमणि अकाली दल से इस्तीफा दे दिया था। परमिंदर सिंह ढींडसा 2007 से 2012 तक, प्रकाश सिंह बादल की सरकार में पंजाब के लोक निर्माण मंत्री और 2012 से 2017 तक राज्य के वित्त मंत्री रह चुके हैं। जनवरी में शिरोमणि अकाली दल से इस्तीफा देते हुए परमिंदर सिंह ढींडसा ने आरोप लगाया कि पार्टी अब अपनी मूल विचारधारा से भटक चुकी है। परमिंदर सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठाए।

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'शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक' का गठन

'शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक' का गठन

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा, 'शिरोमणि अकाली दल के अंदर 8-9 महीने ही हमारे मतभेद शुरू हो गए थे और अब हम एक नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। अपनी नई पार्टी 'शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक' के रजिस्ट्रेशन के लिए हम लोगों ने चुनाव आयोग में भी आवेदन कर दिया है। अकाली दल ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून पर केंद्र सरकार का समर्थन किया, जबकि हम लोग हमेशा से अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं। अकाली दल ने शुरुआत में केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों का भी समर्थन किया था। यही वो कारण हैं, जिनकी वजह से हमने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।'

'अकाली दल और कांग्रेस के कई नेता हमारे संपर्क में'

'अकाली दल और कांग्रेस के कई नेता हमारे संपर्क में'

परमिंदर सिंह ने हालांकि कहा कि फिलहाल केवल उन्होंने और उनके पिता ने ही पार्टी से इस्ताफा दिया है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के कई नेता उनके संपर्क में हैं, जो जल्दी ही उनकी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक तीन पूर्व मंत्री, 4-5 विधायक, एक पूर्व सांसद और पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर देवेंद्र सिंह उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक में शामिल हो चुके हैं।

'जनता के दबाव में दिया हरसिमरत कौर ने इस्तीफा'

'जनता के दबाव में दिया हरसिमरत कौर ने इस्तीफा'

केंद्र सरकार के कृषि विधेयकों पर अकाली दल के रुख को लेकर परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा, 'शिरोमणि अकाली दल पहले कृषि विधेयकों का समर्थन कर रहा था लेकिन जब उन्हें लगा कि पंजाब के अंदर जो थोड़ा-बहुत जमीन उनकी बची है, इन विधेयकों का समर्थन करके वो भी चली जाएगी तो हरसिमरत कौर ने केंद्र की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा अपने मन या अंतरआत्मा की आवाज पर नहीं दिया, बल्कि जनता के दबाव में दिया है। दो महीने तक इन विधेयकों पर वो सरकार के साथ रहे, लेकिन जब महसूस हुआ कि जनता में गुस्सा है वो इन्हें अपने घर में भी नहीं घुसने देगी तो हरसिमरत कौर को दबाव में आकर इस्तीफा देना पड़ा।'

किसान संगठन कर रहे हैं कृषि विधेयकों का विरोध

किसान संगठन कर रहे हैं कृषि विधेयकों का विरोध

आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने बीते गुरुवार को मोदी सरकार के तीन कृषि विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। केंद्र के कृषि विधेयकों को लेकर हरियाणा और पंजाब में किसान संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार ने उनसे कोई सलाह नहीं ली और ये विधेयक पूरी तरह किसान विरोधी हैं।

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हरियाणा में भी भाजपा के लिए खड़ी हुई मुश्किल

हरियाणा में भी भाजपा के लिए खड़ी हुई मुश्किल

शिरोमणि अकाली दल के अलावा हरियाणा की भाजपा सरकार में शामिल दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी में भी दो विधायक कृषि विधेयकों के विरोध में खड़े हो गए हैं। बीते रविवार को हरियाणा की बरवाला सीट से जेजेपी के विधायक जोगी राम सिहाग और शाहाबाद सीट से विधायक राम करन काला ने किसानों के विरोध-प्रदर्शन में शामिल होकर उन्हें अपना समर्थन दिया। दोनों विधायकों ने केंद्र के कृषि विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि वो इस मामले में किसानों के साथ हैं और अगर जरूरत पड़ी तो इस्तीफा तक देने के लिए तैयार हैं।

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English summary
Split In Shiromani Akali Dal, Two Rebel Heavyweight Leaders Formed New Party.
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