किसानों के मुद्दे पर दुष्यंत चौटाला की JJP में फूट, दो विधायक विरोध प्रदर्शन में हुए शामिल
शिरोमणि अकाली दल के बाद अब हरियाणा सरकार में भी कृषि विधेयकों को लेकर विरोध शुरू हो गया है।
नई दिल्ली। राज्यसभा में कृषि विधेयक पास होने के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि ये विधेयक आने वाले समय में कृषि के क्षेत्र में सबसे बड़े सुधार साबित होंगे। हालांकि इन विधेयकों को लेकर एनडीए का प्रमुख घटक दल 'शिरोमणि अकाली दल' ही सरकार के विरोध में उतर आया है। शिरोमणि अकाली दल के नेता आज इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। वहीं, शिरोमणि अकाली दल के बाद अब हरियाणा सरकार में भी कृषि विधेयकों को लेकर विरोध शुरू हो गया है। दरअसल हरियाणा सरकार में शामिल दुष्यंत चौटाला की पार्टी 'जननायक जनता पार्टी' (जेजेपी) के दो विधायक केंद्र के कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं।
इन दो विधायकों ने दिया किसानों को समर्थन
जेजेपी हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार में गठबंधन में है और पार्टी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला राज्य के डिप्टी सीएम हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, रविवार को हरियाणा की बरवाला सीट से जेजेपी के विधायक जोगी राम सिहाग और शाहाबाद सीट से विधायक राम करन काला ने किसानों के विरोध-प्रदर्शन में शामिल होकर उन्हें अपना समर्थन दिया।
'किसानों के समर्थ में इस्ताफी देने को भी तैयार हूं'
कृषि विधेयकों के विरोध में रविवार को हिसार जिले में सरसोद गांव के पास किसानों ने हिसार और चंडीगढ़ को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे को ब्लॉक कर अपना विरोध जताया। इस दौरान जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग ने भी वहां पहुंचकर किसानों को अपना समर्थन दिया। जोगी राम सिहाग के विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान सिहाग ने कहा कि अगर मेरी विधानसभा के लोग मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहेंगे, तो मैं इसके भी तैयार हूं।
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'विधेयकों को वापस ले सरकार'
विधायक जोगी राम सिहाग ने आगे कहा, 'शुरुआत में मुझे भी लगता था कि केंद्र सरकार के कृषि विधेयक किसानों के हक में हैं, लेकिन इसके बाद मैंने उन तीनों कृषि विधेयकों को पढ़ा। हमारी मांग है कि फिलहाल इन विधेयकों को सरकार वापस ले। मैं पार्टी की बैठक में इस मुद्दे को उठाऊंगा। इन विधेयकों के लागू होने के बाद खेतिहर मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।'
'बड़े पूंजीपति खरीद लेंगे गेहूं और धान की पूरी उपज'
किसानों के धरने को समर्थन देते हुए जोगी राम सिहाग ने कहा, 'किसान अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास घरों में अपनी उपज को स्टॉक करने के लिए जगह नहीं है। जमाखोरी की सीमा हटने के बाद बड़े पूंजीपति गेहूं और धान की पूरी उपज खरीदेंगे। इसके बाद सरकार के पास कुछ नहीं बचेगा। यहां तक कि मंडियों में भी अनाज नहीं बचेगा। उसके बाद अगर अनाज 500 रुपये प्रति किलो की दर से मिलेगा, तो मजदूर कैसे खरीद पाएंगे। नए कानून बनने के बाद बड़े पूंजीपति ज्यादातर अनाज खरीद लेंगे और मंडी सिस्टम बचेगा ही नहीं।'
'नए कानूनों के बाद ना आढ़ती बचेंगे, ना मंडी'
आपको बता दें कि फिलहाल जो सिस्टम है, उसके तहत मंडी में कमीशन एजेंट (आढ़ती) सरकार की ओर से तय कमीशन के एवज में, किसानों से सरकारी खरीद एजेंसियों के लिए अनाज खरीदते हैं। विधायक जोगी राम सिहाग ने कहा, 'अगर फसलों की उपज मंडी में जाएगी ही नहीं तो आढ़तियों को अपना काम छोड़कर कुछ और काम करना पड़ेगा। फिर, मंडियां तो बचेंगी ही नहीं। अब अगर किसान को फसल कटाई के दो महीने बाद किसी इमरजेंसी में दो बोरी अनाज अनाज बेचने की जरूरत पड़ी को मंडी ना होने के हालात में वो किसे बेचेगा।'
'राज्य और केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे मुद्दा'
जोगी राम सिहाग ने कहा, 'जब किसानों को मजबूरी में मदद की जरूरत पड़ती है तो यही आढ़ती एडवांस देकर किसान की मदद करते हैं। किसान अगर समय पर वो पैसे नहीं लौटा पाता, तो आढ़ती कर्ज लौटाने के लिए और समय दे देते हैं, लेकिन बैंक ऐसा नहीं करते।' वहीं, किसानों के एक अन्य धरने को समर्थन देने पहुंचे विधायक राम करन काला ने कहा कि वो किसानों की मांग को राज्य और केंद्र सरकार के सामने उठाएंगे।'
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