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Swami Vivekananda: स्वामी विवेकानंद की शिकागो से वापसी की 122वीं वर्षगांठ पर चलेगी स्पेशल ट्रेन

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नई दिल्ली।सन् 1893 ई में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में ऐतिहासिक व्याख्यान देने के बाद कोलकाता लौटे स्वामी विवेकानंद की वापसी दिवस को 122 साल पूरा हो रहा है इसी वजह से 19 फरवरी को पूर्व रेलवे ने एक खास ट्रेन चलाने का फैसला किया है। इस बारे में बात करते हुए रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि व्याख्यान के करीब चार साल बाद 1897 में अमेरिका से वापसी के वक्त स्वामी जी मद्रास से स्टीमर के जरिए कोलकाता से 25 किलोमीटर दूर हुगली नदी के किनारे स्थित बजबज डॉक पर उतरे थे और उसके बाद वो 19 फरवरी 1897 को वे दक्षिण 24 परगना के बजबज से कोलकाता ट्रेन से आए थे।

19 फरवरी

19 फरवरी

जहां पर उनका भव्य स्वागत हुआ था और इसी वजह से 19 फरवरी को बजट से सियालदह दक्षिण स्टेशन के बीच एक ईएमयू स्पेशल ट्रेन चलाई जाएगी। फूलों से लदी स्पेशल ट्रेन बजबज स्टेशन से 11 बजे प्रस्थान करेगी और 12.10 बजे सियालदह स्टेशन पहुंचेगी।

स्पीच ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था

स्पीच ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था

आइए एक नजर डालते हैं उस भाषण पर जो विवेकानंद ने शिकागो में दिया था और जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था... ( विकिपीडिया के सौजन्य से)

आभार प्रकट किया

आभार प्रकट किया

मेरे अमेरिकन भाई और बहनों... आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया हैं उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा हैं। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं , धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूं और सभी सम्प्रदायों एवं मतों के कोटि कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूं।

मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है

मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है

हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता हैं कि हमने अपने वक्ष में उन यहूदियों के विशुद्धतम अवशिष्ट को स्थान दिया था जिन्होंने दक्षिण भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी जिस वर्ष उनका पवित्र मन्दिर रोमन जाति के अत्याचार से धूल में मिला दिया गया था।

मैं गर्व का अनुभव करता हूं..

मैं गर्व का अनुभव करता हूं..

ऐसे धर्म का अनुयायी होने में मैं गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने महान जरथुष्ट जाति के अवशिष्ट अंश को शरण दी और जिसका पालन वह अब तक कर रहा है। भाईयो मैं आप लोगों को एक स्तोत्र की कुछ पंक्तियां सुनाता हूं जिसकी आवृति मैं बचपन से कर रहा हूं और जिसकी आवृति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं

रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव॥

अर्थात जैसे विभिन्न नदियां भिन्न भिन्न स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार हे प्रभो! भिन्न भिन्न रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जानेवाले लोग अन्त में तुझमें ही आकर मिल जाते हैं।

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English summary
Eastern Railway will run a special train from Budge Budge to Sealdah on February 19 to mark the 122nd return day of Swami Vivekananda from Chicago where the monk had delivered a historic lecture, railway sources said on Tuesday
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