स्पीकर ने AAP सांसद भगवंत मान की लगाई क्लास, कहा- 'मैं पढ़ा-लिखा व्यक्ति हूं'
नई दिल्ली- लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला सदन को नियमों के तहत ही चलाने के लिए काफी चर्चित हो चुके हैं। गुरुवार को भी वे सांसदों से नियम और अनुशासन का पालन कराने को लेकर काफी सख्त दिखे। इसबार स्पीकर की चपेट में पंजाब के संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान आ गए। दरअसल, वो चेयर को बिना बताए विषय बदल कर बोलने लगे थे। इसीपर स्पीकर ने उन्हें टोक कर बिठा दिया।
स्पीकर ने मान को सख्ती से टोका
भगवंत मान को शून्यकाल के दौरान सवाल पूछने की इजाजत मिली थी। उन्हों स्पीकर से पहले पंजाब में टीचर्स की सैलरी को लेकर सवाल पूछने की अनुमति मांगी थी। लेकिन, जब मान के बोलने की बारी आई, तो उन्होंने विदेशों में भारतीयों की परेशानी और दूतावास में रिश्वतखोरी के विषय पर बोलना शुरू कर दिया। हमेशा की तरह स्पीकर सदन की कार्यवाही के दौरान पूरी तरह सजग थे। उन्होंने फौरन मान को टोकर बैठ जाने के लिए कह दिया। ओम बिड़ला ने कहा, 'अगर प्रश्न बदलना है तो आपको मुझसे अनुमति लेनी होगी। आपने विषय दिया था पंजाब में शिक्षकों के वेतन का मुद्दा, मैं पढ़ा-लिखा व्यक्ति हूं।' जैसे ही स्पीकर ने ऐसा कहा सदन में ठहाके गूंजने लगे।
नियम समझाने के बाद मान को मिली इजाजत
स्पीकर ने फिर से सदस्यों को नियम के बारे में समझाया कि अगर आप विषय को बदलना चाहते हैं, तो इसके लिए इजाजत लें और वो देंगे। वैसे बाद में उन्होंने मान को उसी मुद्दे पर बोलने की इजाजत दे दी, जिसपर वो बोल रहे थे। इससे पहले एक सांसद अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही कुछ बोलने लगे थे, तो स्पीकर ने उनकी ओर इशारा करके हिदायत दी कि वे बैठे-बैठ न बोलें। गौरतलब है कि संसद में सदस्यों को अपनी बात खड़े होकर कहने का नियम है।
कई और सांसद एवं मंत्री भी आ चुके हैं चपेट में
भगवंत मान के एपिसोड से पहले एक वाक्या गौरव गोगोई और रमेश बिधूड़ी का भी सामने आया था। वे दोनों किसी बात पर आपस में उलझने लगे तो ओम बिड़ला ने उन्हें सख्ती से शांत रहने का आदेश दिया। उन्होंने सदन में सदस्यों से आरोप लगाने से बचने की भी हिदायत दी। उन्होंने कहा कि बगैर तथ्य और प्रमाण के किसी पर भी आरोप-प्रत्यारोप न करें। उन्होंने कहा कि इस सदन की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। पिछले दिनों स्पीकर ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नसीहत देने से भी परहेज नहीं किया था। उन्होंने उनसे कहा था कि सदस्यों को वो बोलने के लिए न कहें, सदन में ये काम स्पीकर का है।
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