कौन हैं बिहार विधानसभा के नए अध्यक्ष विजय सिन्हा, कुछ ऐसा रहा इंजीनियर से स्पीकर की कुर्सी तक का सफर
नई दिल्ली। बिहार के संसदीय इतिहास में आज का दिन बहुत खास है, बिहार में ऐसा पांच दशक के बाद हुआ है, जब स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ। विधानसभा चुनाव के बाद अब बिहार विधानसभा स्पीकर के चुनाव में एनडीए की जीत हुई है। बुधवार को हुए स्पीकर पद के लिए चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार विजय सिन्हा नए विधानसभा अध्यक्ष चुने गए। विजय सिन्हा के पक्ष में 126 वोट पड़े जबकि उनके प्रतिद्वंदी और महागठबंधन के स्पीकर उम्मीदवार अवध बिहारी चौधरी को 114 वोट ही मिले। चुनाव में भाजपा विधायक विजय सिन्हा की जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरेजडी नेता तेजस्वी यादव उन्हें अध्यक्ष के कुर्सी तक लेकर गए।
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विजय सिन्हा की राजनीतिक यात्रा
बता दें कि विधानसभा के नए अध्यक्ष विजय सिन्हा बीजेपी के सीनियर नेता और लखीसराय से विधायक हैं। इससे पहले एनडीए की पिछली सरकार में सिन्हा मंत्री भी रह चुके हैं। विधानसभा स्पीकर चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद विजय सिन्हा को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कई लोग उनके बैकग्राउंड और राजनीतिक सफर के बारे में जानना चाहते हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर विजय सिन्हा की राजनीतिक यात्रा और उनके सामाजिक परिवेश को लेकर सवाल किया है।
पिछली सरकार में रह चुके हैं मंत्री
आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में विजय सिन्हा ने बीजेपी के टिकट पर लखीसराय सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज किया था। 54 वर्षीय विजय सिन्हा बिहार राजनीति का एक चर्चित चेहरा माने जाते हैं, इससे पहले वह नीतीश सरकार में ही श्रम संसाधन मंत्री रह चुके हैं। सिन्हा भूमिहार समाज से आते हैं। दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार की पिछली सरकार में भी स्पीकर रहे विजय कुमार चौधरी भी सिन्हा के समाज से ही आते थे।
पॉलिटक्निक से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया
विजय सिन्हा का जन्म 5 जून 1967 को मोकामा के बादपुर में हुआ था, उनके दिवगंत पिता शारदा रमण सिंह पटना के बाढ़ स्थित बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक थे। विजय सिन्हा की मां का नाम स्व. सुरमा देवी है। सिन्हा बचपन से ही पढ़ने-लिखने में रुचि रखते थे, उन्होंने बेगूसराय के राजकीय पॉलिटक्निक से सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा भी किया है। विजय सिन्हा साल 1986 में शादी के बंधन में बंध गए थे। कॉलेज टाइम से ही सिन्हा का झुकाव सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक कार्यों के तरफ था।
13 वर्ष की उम्र में ही RSS से जुड़े
विजय सिन्हा सिर्फ 13 वर्ष की आयु में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जड़ गए थे और 1980 के बाद से ही बीजेपी के कार्यक्रमों में पारिवारिक भागीदारी में सहयोग करने लगे थे। उन्हें 15 वर्ष की आयु में ही बाढ़ के दुर्गापूजा समिति के सचिव के रूप में चुन लिया गया था। यहीं से सिन्हा के नेतृत्व क्षमता डेवलप होने लगी और वह, 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति में संक्रियता से भाग लेने लगे। इस दौरान सिन्हा एएन कॉलेज में पढ़ते थे।
लखीसराय को बनाया बीजेपी का गढ़
इसके बाद विजय सिन्हा राजनीति की सीढ़िया चढ़ने लगे, 1985 में राजकीय पॉलिटेक्निक मुजफ्फरपुर छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में उनका चुनाव हुआ। इसके पांच साल बाद ही सिन्हा को राजेन्द्र नगर मंडल पटना महानगर भाजपा में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला। साल 2000 में सिन्हा को प्रदेश संगठन प्रभारी और लखीसराय में बीजेपी को आगे बढ़ाने का मौका मिला। 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, बिहार के प्रदेश सचिव बनाए गए।
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