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Modi-Shah की जोड़ी से मुकाबले के लिए तैयार हो रही है बुजुर्गों की टोली

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बंगलुरू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के आगे नतमस्तक हुई विपक्ष अब युवा जोश को पीछे छोड़ बुजुर्ग हो चुके नेताओं की फौज तैयार करने में जुट गई है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव दर चुनाव हार रही कांग्रेस ने अनुभवी सोनिया गांधी को एक बार अपना नेता चुनकर संभवतः यही संदेश दिया है कि अनुभव पर युवा जोश नाकाबिल है। यही कारण है कि अब मुलायम सिंह यादव को सपा सुप्रीमों बनाने की कवायद जोर पकड़ने लगी है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही मुलायम सिंह यादव अखिलेश की जगह पर विराजमान हो सकते हैं।

Mulayam

गौरतलब है लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस पार्टी की पराजय के बाद राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष छोड़ने की पेशकश की थी, लेकिन पार्टी के आलाकमान नेताओं द्वारा राहुल गांधी को मनाने को कोशिश की गई है, लेकिन राहुल गांधी अपनी जिद पर अड़े रहे। करीब 4 माह तक चले मान-मनौवल्ल के बाद अंततः कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई और 12 घंटे के लंबे अंतराल बाद पार्टी ने राहुल गांधी के इस्तीफा पर सहमति जताते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।

72 वर्षीय सोनिया गांधी को पार्टी की कमान दोबारा सौंपे जाने के बाद समाजवादी पार्टी में भी दोबारा मुलायम सिंह यादव को सपा सुप्रीमों बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई। हालांकि बढ़ती और खराब स्वास्थ्य के चलते मुलायम सिंह पार्टी को क्या संजीवनी दे पाएंगे, यह दिलचस्प होगा। दरअसल, बतौर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के कार्यकाल में समाजवादी पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी जमीन भी खोती नजर आई है।

Mayawati

लोकसभा चुनाव में फेल हुआ बुआ-बबुआ गठबंधन

उपचुनाव में चमकी बुआ और बबुआ गठबंधन से सपा को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। जब लोकसभा चुनाव परिणाम जब घोषित हुआ तो अखिलेश यादव खुद तो आजमगढ़ से चुनाव जीत जरूर गए, लेकिन उनकी पार्टी महज 5 लोकसभा सीट ही जीतने में कामयाब हुई थी। सपा के लिए चुनाव परिणाम निराशानजनक था। कन्नौज से चुनाव में उतरी अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव तक अपना पारंपरिक सीट गंवा बैठी थीं। हालांकि सपा-बसपा गठबंधन में मायावती को खूब फायदा हुआ।

वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट जीतने में नाकाम रही थी, लेकिन सपा के साथ गठबंधन करके 2019 लोकसभा चुनाव में उतरी मायावती की पार्टी कुल 10 लोकसभा सीटों पर विजयी रही। चुनाव परिणाम के बाद अखिलेश यादव ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया और परिणाम के बाद मायावती ने अखिलेश यादव की पार्टी से गठबंधन तोड़कर अखिलेश को माथा पकड़ने के लिए मजबूर कर दिया।

शिवपाल और अखिलेश में सुलह की कोशिश फेल

हालांकि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश और भाई शिवपाल के बीच सुलह कराने की भी की, लेकिन उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हुईं, क्योंकि शिवपाल ने अपनी 'प्रगतिशील समाजवादी पार्टी' का सपा में विलय से इनकार कर दिया। दरअसल, सपा का खाटी वोटर ही सपा का मुख्य जनाधार है, लेकिन अलग पार्टी बनाने से पार्टी का खाटी वोटर शिवपाल के पास चला गया।

Akhilesh

लोकसभा चुनाव में जातीय राजनीति से इतर लोगों को वोट देने से सपा को अधिक नुकसान हुआ। मायावती ने सपा से गठबंधन तोड़ने की घोषणा करते समय दिए बयान में आरोप लगाया था कि सपा से वोट ट्रांसफर नहीं हुआ, जिससे गठबंधन को नुकसान हुआ। हालांकि गोरखपुर और कैराना में हुए उपचुनाव में बुआ-बबुआ की जोड़ी के करिश्मे को देखते हुए सपा और बसपा लोकसभा चुनाव में गठबंधन को तैयार हुई थी।

मुलायम के लिए सपा सुप्रीमो का पद छोड़ेंगे अखिलेश

चाचा राम गोपाल यादव के सहयोग से पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे अखिलेश यादव पिता मुलायम सिंह यादव के लिए पद छोड़ेंगे, यह बड़ा ही कठिन सवाल है। अखिलेश यादव की ओर से अभी तक ऐसा कोई संकेत कभी नहीं दिया गया। हालांकि पार्टी कार्यकर्ता मुलायम सिंह यादव को एक बार पार्टी की कमान सौंपने की बात जरूर कह रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव ने अभी तक ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।

सपा में बड़े पैमाने पर बदलाव तैयारी में जुटे अखिलेश

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पार्टी को मजबूत करने के इरादे से जल्द राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर संगठन में फेरबदल करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसकी घोषणा भी जल्दी हो सकती है। इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी के संगठन में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है और ऊपर से लेकर निचले स्तर के कई पदाधिकारियों की छुट्टी की जा सकती है, जिनमें नॉन परफ़ॉर्मर नेताओं पर गाज गिरनी तय है।

Akhilesh yadav

13 सीटों पर उपचुनाव में होगी अखिलेश की परीक्षा

लोकसभा चुनाव के बाद नवम्बर में होने वाले 13 सीटों पर उपचुनाव समाजवादी पार्टी व अखिलेश के लिए पहली परीक्षा मानी जा रही है। बीजेपी के अलावा बसपा के भी मैदान में उतरने से सपा की मुश्किलें बढ़ गई है। अब उसे सत्तारूढ़ बीजेपी के साथ ही गठबंधन तोड़ चुकी बसपा से भी चुनौती मिलनी तय है। जिन 13 सीटों पर चुनाव होने हैं, उसमें से रामपुर सीट सपा के खाते पहले ही थी लिहाजा इस सीट को बचाने के अलावा अधिक से अधिक सीट जीतना अखिलेश के चुनौती होगी।

यह भी पढ़ें-सपा को बचाने के लिए अखिलेश यादव को हटाकर मुलायम संभालना चाहते हैं कमान ?

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English summary
After sonia gandhi become party's interim president of congress now Samajwadi supporters raises voice for mulayam singh yadav?
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