लोकसभा चुनाव से पहले ही यहां 'फेल हुआ' सपा-बसपा गठबंधन, BSP का कैंडिडेट हारा
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही एक चुनाव में सपा-बसपा के महागठबंधन को झटका लगा है।
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में बने महागठबंधन को गाजियाबाद में पहला झटका लगा है। यहां हुए एक अहम चुनाव में पर्याप्त वोट होने के बावजूद बसपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। दरअसल बसपा प्रत्याशी के पास अपनी पार्टी के 15 और सपा के 6 वोट थे, इसके बावजूद उन्हें हार मिली। बसपा को मिली इस हार के बाद जिले के नेताओं में सपा-बसपा महागठबंधन को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है। आपको बता दें कि बीते गुरुवार को ही अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने संयुक्त तौर पर सीट बंटवारे की सूची जारी की थी। इस सूची के तहत बसपा को 38 और सपा के 37 सीटें मिली हैं। महागठबंधन के तहत गाजियाबाद लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है।
वोट डालने नहीं पहुंचे सपा के सदस्य
शनिवार को गाजियाबाद नगर निगम कार्यकारिणी के 6 पदों पर चुनाव के लिए मेयर आशा शर्मा ने नगर निगम के सदस्यों की बैठक बुलाई। संख्या बल के आधार पर भाजपा ने चार, कांग्रेस ने दो और बसपा ने एक प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस के पास केवल एक पार्षद को कार्यकारिणी में पहुंचाने के लिए संख्या बल था, लेकिन उसने दो प्रत्याशी खड़े किए। सात प्रत्याशी होने के कारण क्रॉस वोटिंग को लेकर पार्टियों में हड़कंप मच गया। सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई और वोटिंग कराने का फैसला लिया गया। वोटिंग के दौरान समाजवादी पार्टी के एमएलसी समेत 6 सदस्य वोट डालने नहीं पहुंचे। मतगणना हुई और बसपा प्रत्याशी को 15 के स्थान पर केवल 9 ही वोट मिल पाए। इसके बाद मेयर चुनाव अधिकारियों ने कांग्रेस के दो और भाजपा के चार प्रत्याशियों को विजेता घोषित कर दिया गया।
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महागठबंधन को लेकर सियासी चर्चाएं
नगर निगम कार्यकारिणी के चुनाव में हुई मतगणना के मुताबिक, भाजपा प्रत्याशी अनिल स्वामी को 19, राजीव शर्मा को 18, मनोज गोयल को 17 और विनोद शर्मा को 16 वोट मिले। कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज चौधरी और विनोद कुमार को 10-10 वोट मिले। बसपा प्रत्याशी संघदीप तोमर का कहना है कि सदन में उनके पार्षदों की संख्या 13 है और दो एमएलसी भी हैं। इसके बावजूद उन्हें महज 9 वोट ही मिल पाए। हालांकि गाजियाबाद के बसपा जिलाध्यक्ष विनोद प्रधान का कहना है कि संघदीप तोमर को महागठबंधन की तरफ से प्रत्याशी नहीं बनाया गया था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर संघदीप तोमर आधिकारिक प्रत्याशी नहीं थे तो फिर बसपा एमएलसी वोट डालने कैसे पहुंच गए? बसपा प्रत्याशी की हार के बाद सपा-बसपा के महागठबंधन को लेकर सियासी चर्चाएं भी छिड़ गई हैं।
सपा के खाते में है गाजियाबाद सीट
आपको बता दें कि महागठबंधन के तहत हुए सीटों के समझौते में गाजियाबाद लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। इस सीट को भाजपा का बेहद मजबूत गढ़ माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से वर्तमान केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने 567260 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की। इन चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार जनरल वीके सिंह को 758482, कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को 191222, बसपा उम्मीदवार मुकुल उपाध्याय को 173085 और सपा प्रत्याशी सुधन रावत को 106984 वोट मिले थे। यानी समाजवादी पार्टी यहां चौथे स्थान पर रही थी। ऐसे में गाजियाबाद के सियासी गलियारों में चर्चा है कि एक छोटे चुनाव में ही सपा-बसपा के वोट साथ नहीं आ पाए तो लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का भविष्य कैसे तय होगा?
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