JNU में हिंसा के लिए बुलाए गए थे 10 बाहरी लोग, व्हाट्सएप ग्रुप के 37 सदस्यों की हुई पहचान : सूत्र
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा पर दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने एक व्हट्सएप ग्रुप का सनसनी खेज खुलासा करते हुए बताया कि कैंपम में हमला कराने के लिए बाहली लोगों की मदद ली गई थी। क्राइम ब्रांच की एसआईटी टीम ने एक 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' के नाम से एक व्हट्सएप ग्रुप का खुलासा किया है जिसके जरिए हमलावरों को इकट्ठा किया गया। एसआईटी ने ग्रुप में शामिल 37 लोगों की पहचान कर ली है जिनमें से 10 लोग बाहरी बताए जा रहे हैं।
व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों की हुई पहचान
सूत्रों के मुताबिक नाकाबपोश हमलावरों की तलाश कर रही क्राइम ब्रांच की टीम को बड़ी सफलता मिली है। हमले के पीछे शामिल संदिग्धों पहचान कर ली गई है जिसमें कुछ बाहरी लोग बताए जा रहे हैं यानी की उनका पढ़ाई और कैंपस से कोई लेना देना नहीं है। जांच में सामने आया कि हिंसा के लिए लेफ्ट और राइट दोनों ही ग्रुप ने बाहरी लोगों की मदद ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जेएनयू के छात्रों ने ही बाहरी उपद्रवियों का कैंपस में अंदर दाखिल कराया और तोड़फोड़ की।
सुरक्षागार्ड भी शक के दायरे में
बता दें कि इस मामले में सुरक्षागार्ड भी पुलिस के शक के दायरे में है। बताया जा रहा है कि कैंपस के वायरल वीडियों में छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष सहित कुल 9 लोगों को पहचान की जा चुकी है अब जांच टीम उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा कर रही है। पहचान किए गए छात्रों को पूछताछ के लिए भी बुलाया जा सकता है। बता दें कि जांच में आईशी घोष का नाम सामने आने के बाद अब एक नया विवाद शुरू हो गया है। आईशी ने अपने उपल लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया और पुलिस से सबूत लाने को कहा है।
जीएनयू वीसी ने छात्रों से की बात
जेएनयू में हुई हिंसा के बाद पहली बार कुलपति एम जगदीश कुमार ने जेएनयू के छात्रों के साथ बैठक की। इस बैठक में कुलपति ने छात्रों से कहा कि कैंपस में हो रही दिक्कतों की सबसे बड़ी समस्या हॉस्टल में गैरकानूनी ढंग से रह रहे छात्र हैं, जो बाहरी भी हो सकते हैं। वीसी ने आगे कहा कि इसकी पूरी संभावना है कि 5 जनवरी में हुई हिंसा में वह भी शामिल हो सकते हैं क्योंकि उनके पास करने को कुछ और नहीं है। कुछ छात्र कार्यकर्ताओं ने इस हद तक आतंक मचाया कि कुछ छात्रों को हास्टल तक छोड़ना पड़ा। पिछले कुछ दिनों से हमने सुरक्षा बढ़ा दी है और कोशिश है कि निर्दोष छात्रों को चोट न पहुंचे।
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