5वें ICSL प्रोग्रेसिव टीचर कॉन्क्लेव 2019 में गांगुली ने सिखाया शिक्षा-खेल में समन्वय रखने के गुण
नई दिल्ली। भारत को स्कूली शिक्षा में ग्लोबल सुपरपावर बनाने के मिशन के एक हिस्से के तौर पर आईसीएसएल (इंटरनेशनल काउंसिल फॉर स्कूल लीडरशिप) ने दि प्रोग्रेसिव टीचर कॉन्क्लेव 2019 के पांचवे संस्करण का आयोजन किया। इस कॉन्क्लेव में बेहतरीन ढंग से स्कूली शिक्षा का नेतृत्व करने के सात महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शिक्षाविदों, अध्यापकों और एजुकेशन प्रोफेशनल्स का नजरिया कॉन्क्लेव में मौजूद मेहमानों के सामने आया। आईसीएसएल की ओर से पारिभाषित स्कूल लीडरशिप के सात क्षेत्रों में स्कूल का माहौल और कल्चर, सिलेबस और विषय, लोगों पर उसका प्रभाव, शिक्षा ग्रहण करना और उसका आकलन करना, स्कूल चलाने के लिए धन का प्रबंध करना, संचालन और कानूनी मुद्दे, एजुकेशन में तकनीक को शामिल करना और प्रमुख संस्थागत बदलाव शामिल हैं। आईसीएसएल भारत में तेजी से बढ़ता हुआ अध्यापकों, शिक्षाविदों, स्कूल संचालकों और एजुकेशन प्रोफेशन्स का संगठन है। आईसीएसएल की ओर से आयोजित प्रोग्रेसिव टीचर कॉन्क्लेव में भारत के 75 शहरों या कस्बों के 300 से ज्यादा अध्यापकों और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया।
इस कॉन्क्लेव के मुख्य लक्ष्यों में निम्नलिखित शामिल है
- भारत के स्कूलों में शिक्षा की क्वॉलिटी सुधारने के लिए परंपरागत लीक से हटकर नए विचारों को सामने लाना।
- स्कूली शिक्षा में चुनौतियों पर वाद-विवाद, परिचर्चा और विचार-विमर्श करना
- स्कूलों और उसमें पढ़ाने वाले अध्यापकों और शिक्षाविदों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाना
आईसीएलएल के संस्थापक और निदेशक डॉ. अतुल निश्चल ने 300 से ज्यादा अध्यापकों, स्कूल संचालकों और शिक्षाविदों का गर्मजोशी से स्वागत किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने समकालीन स्कूली शिक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर विचार विमर्श किया। इस वर्ष का विशेष संबोधन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक श्री विनीत जोशी ने दिया। उन्होंने स्कूली शिक्षा से संबंधित विभन्न मुद्दों पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए श्री विनीत जोशी ने कहा , "हमें पुरे एजुकेशन सिस्टम को बदलने की जरुरत है लेकिन सवाल ये की पहले पहल कौन करे , हम सबको अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है |
पहले सभी के पास जरूरत अनुसार इनफार्मेशन नहीं होती थी , पर आज के समय सभी के पास सारी इनफार्मेशन है जो उन्हें उनके लक्ष्य तक पंहुचा सके , पर कमी है रचनत्मक सोच की , नया सोचने की , टीम के साथ काम करने की | हमारे सोसिटी में एक धारणा है की बिना ट्यूशन के जे ई ई , आई आई टी लेवल के एग्जाम को कोचिंग के बिना नहीं पास किया जा सकता है , यहाँ हमारी रिस्पॉन्सिबिलिटी है की हम अपने छात्रों में कॉन्फिडेंस पैदा करें उन्हें प्रोत्साहित करें "
कॉनक्लेव के अंत में हुए पैनल डिस्कशन, लीडिंग इन केऑस (अव्यवस्था और उथल-पुथल के माहौल में स्कूली शिक्षा का नेतृत्व करना) का आयोजन कॉन्फ्रेंस में आए हुए मेहमानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप और शिक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अध्यापको, शिक्षाविदों और दिग्गज शिक्षा शास्त्रियों के नजरिए से परिचित कराने के मकसद से किया गया। इस पैनल में आईसीएसएल में सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष श्री एम.जी. बालासुब्रहमण्यम, रजनीश हासीज़ा , डाइरेक्टर प्रिंसिपल इन्द्रप्रस्था ग्रुप ऑफ़ सस्कूल्स , संगीता क्रिस्नन , एजुकेशनल कंसल्टेंट , बाल भारती पब्लिक स्कूल्स के एचआरडी सेंटर के निदेशक श्री सूरज प्रकाश और डीपीएस सोसाइटी में एचआरडी सेंटर की निदेशक मिस विनीता खेर शामिल हुईं।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली इस कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि थे। उन्होंने भारत में स्पोटर्स एजुकेशन और लीडरशिप के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने कार्यक्रम में आए अध्यापकों को बताया कि किस तरह वह प्रधानमंत्री के "फिट इंडिया मूवमेंट" को अपने स्कूलों में ले जा सकते हैं। इस दौरान उन्होंने बताया की फिटनेस एक तरह से माइंडसेट है लेकिन यह सबसे बड़ी चुनौती है | अपने बारे में बताया की मै अपने काम के प्रति बहुत की पैशनेट रहता हूँ इसके साथ ही उन्होंने अपने बचपन के बारे में बताय की पैरेंट्स उस समय तक खेल में जाने से बच्चो को रोका करतें थे और कुछ हद तक यह आज भी हमारे समाज में देखने को मिलता है लेकिन अब धीरे धीरे समय के साथ इसमें बदलाव भी देखने को मिल रहा है | इसके लिए उन्होंने स्कूलों से भी अपने छात्रों को भी गाइड करने की प्रेरित करने के लिए कहा |
इसके साथ ही उन्होंने पी वी सिंधु , मैरी कॉम , जैसे उत्क्रिस्ट खिलाड़यों का भी उदाहरण दे कर बच्चो में खेल के प्रति कैसे जिज्ञासा बढ़ाया जाये इसकी प्रेरणा शिक्षकों दिया उन्होंने बताया की क्रिकेट के अलावा कबड्डी में भी भारत सर्वश्रेस्ट स्थान पर है उन्होंने बताया की मैंने अपने क्रिकेट करियर की सुरुवात कक्षा 5 से ही कर दी थी | कॉन्क्लेव में एस. चांद ग्रुप की ओर से टीचिंग एक्सिलेंस अवॉर्ड प्रदान किए गए। 15 अलग-अलग कैटिगरी में इसके लिए 2500 से ज्यादा नॉमिनेशन मिले थे। इनमें से 39 प्रतिभाशाली और जबर्दस्त परफॉर्मेंस देने वाले टीचरों को उनके बेहतरीन कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया। एस. चांद ग्रुप के स्टार एजुकेटर्स की पहल के तहत 35 से ज्यादा टीचरों को शिक्षा प्रदान करने के नए तरीकों को सामने लाने की कोशिशों के लिए सम्मानित किया गया। उनके प्रयासों को कॉन्फ्रेंस में खूब सराहना भी की गई। इन पुरस्कारों का मकसद अपने कार्य के प्रति समर्पित उन टीचरों को सम्मानित और पुरस्कृत करना था, जो काफी मेहनत, लगन और जोश से बच्चों को क्वॉलिटी एजुकेशन देने के काम में लगातार जुटे हुए हैं।