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पंजाब में आतंकवाद के चलते कभी सोनू सूद बनना चाहते थे आर्मी ऑफिसर!

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मुंबई। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच 'महाभारत' और 'रामायण' से अलग अगर कोई सुपरहिट हुआ तो वह हैं बॉलीवुड एक्‍टर सोनू सूद। हजारों प्रवासी मजदूरों को उत्‍तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले सोनू पिछले करीब एक माह से 'वन मैन आर्मी' बने हुए हैं। मजदूरों के लिए 'वन मैन आर्मी' बने सोनू दरअसल कभी एक आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे। सोनू ने खुद यह बात उस समय कही थी जब भारत-चीन के बीच युद्ध पर आधारित उनकी एक फिल्‍म रिलीज हुई थी।

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भारत-चीन जंग पर आधारित फिल्‍म में बने ऑफिसर

भारत-चीन जंग पर आधारित फिल्‍म में बने ऑफिसर

दो साल पहले रिलीज हुई जेपी दत्‍ता की फिल्‍म 'पलटन' में सोनू सूद एक आर्मी ऑफिसर बने थे। यह फिल्‍म सन् 1967 में सिक्किम बॉर्डर पर नाथू ला और चो ला पर भारत-चीन की सेनाओं के बीच संघर्ष पर आधारित थी। सन् 1967 में भारत की सेना ने 62 की जंग के बाद चीन के दुस्‍साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया था। पंजाब के मोगा के रहने वाले सोनू के मुताबिक इस फिल्‍म में आर्मी ऑफिसर की यूनिफॉर्म पहनने से उनका वह सपना पूरा हुआ था जो वह हमेशा से देखते आए थे। उस समय सोनू ने अपने एक इंटरव्‍यू में कहा था, 'उत्‍तर भारत के कई लोग मिलिट्री में जाते हैं क्‍योंकि इस हिस्‍से पर कई बार घुसपैठ और हमले हुए हैं।'

सोनू के शहर मोगा में आर्मी ऑफिसर्स ने दी प्रेरणा

सोनू के शहर मोगा में आर्मी ऑफिसर्स ने दी प्रेरणा

सोनू के मुताबिक वह जब बच्‍चे थे तब से ही आर्मी में जाने का सपना देखते थे। सोनू के शब्‍दों में, 'मैं पंजाब में उस समय बड़ा हुआ हूं जब यहां पर आतंकवाद चरम पर था। कई ऑफिसर्स मेरे शहर मोगा में आते थे और उन्‍हें यूनिफॉर्म में देखना बहुत प्रेरणादायी लगता था। इतने बरसों में मैं जैसे-जैसे बड़ा होता गया, इंजीनियरिंग के लिए मेरा झुकाव हो गया और आखिर में मैं एक्टिंग की तरफ मुड़ गया। इतने बरस के बाद फिल्‍म 'पलटन' ने मुझे मौका दिया कि मैं एक आर्मी ऑफिसर के तौर पर महसूस कर सकूं।' सोनू ने कई फिल्‍मों में विलेन का रोल निभाया है। आखिरी बार उन्‍हें फिल्‍म 'सिंबा' में लोगों ने विलेन के तौर पर देखा था। मगर आज सोनू रियल और मजदूरों के हीरो बन गए हैं।

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'पलटन' में मेजर बिशन सिंह बने थे सोनू

'पलटन' में मेजर बिशन सिंह बने थे सोनू

फिल्‍म 'पलटन' में सोनू ने मेजर बिशन सिंह का रोल अदा किया था। जेपी दत्‍ता की फिल्‍म के मेजर बिशन सिंह दरअसल 67 में हुए टकराव के रीयल हीरो थे। मेजर बिशन बाद में कर्नल होकर रिटायर हुए। चीन के समय जब जंग चल रही थी तो उस समय मेजर बिशन सिंह कंपनी कमांडर थे और उन्‍हें 'टाइगर ऑफ नाथ ला' कहा जाता है। आज वह जयपुर में रहते हैं। कहते हैं फिल्‍म में सोनू ने जो डायलॉग बोला था, 'हमारी कंपनी इतिहास रचेगी,' वह दरअसल रिटायर्ड कर्नल बिशन सिंह का अपने सीनियर से किया गया एक वादा था। जंग के साथ ही उन्‍होंने उस वादे को पूरा भी किया। सोनू के मुताबिक उनके पिता का सपना था कि वह आर्मी यूनिफॉर्म पहनें। हालांकि सोनू के पिता उनकी आर्मी ऑफिसर वाली इस पहली फिल्‍म को देख नहीं सके। साल 2016 में उनका निधन हो गया।

चीन के साथ हुई थी 10 दिनों की एक जंग

चीन के साथ हुई थी 10 दिनों की एक जंग

सोनू की फिल्‍म 'पलटन' चोला और नाथूला पास पर 1967 में हुई 10 दिन की लड़ाई पर आधारित थी। इस जंग में भारत ने चीन को करारी शिकस्‍त दी थी। चीन के 300 से ज्‍यादा सैनिक मारे गए थे। जबकि भारत के 65 सैनिक शहीद हो गए थे। 62 की जंग को अगर भारत-चीन रणनीतिक और राजनयिक रिश्ते में एक बड़े डिपार्चर प्‍वाइंट के तौर पर देखा जाता है तो 67 की जंग को एक ऐसे साल के तौर पर याद किया जाता है जब हमारे सैनिकों ने न सिर्फ चीन की हिमाकत का जवाब दिया था बल्कि उनके कई बंकर तक नष्‍ट कर दिए थे। रणनीतिक स्थिति वाले नाथु ला दर्रे में हुई उस भिड़ंत की कहानी हमारे सैनिकों की बहादुरी की मिसाल के तौर पर याद किया जाता है।

फिल्‍मों के विलेन सोनू अब बन गए हैं रीयल हीरो

फिल्‍मों के विलेन सोनू अब बन गए हैं रीयल हीरो

कोरोना महामारी के समय में जब सरकारें और प्रशासन बेबस नजर आ रहा है तो सोनू महाराष्ट्र से पलायन कर रहे मजदूरों की व्यक्तिगत तौर पर मदद कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक सोनू अब तक करीब 20,000 मजदूरों को घर पहुंचा चुके हैं। 30 जुलाई 1973 को पंजाब के मोगा में जन्‍में सोनू इंजीनियरिंग के लिए नागपुर चले गए थे। यहां पर उन्‍होंने यशवंतराव चव्हाण इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। सोनू ने कॉलेज के मॉडलिंग कॉम्‍प्‍टीशन लिया। साल 1996 में उन्‍होंने ग्रैविएरा मिस्‍टर इंडिया कॉन्‍टेस्‍ट में भी हिस्‍सा लिया था।

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English summary
Once Sonu Sood decided to becoming an Indian Army officer after seeing terrorism in Punjab.
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